शुक्रवार, 28 सितंबर 2018

भीड़ में गुमा न्याय

एक वरिष्ठ वकील अपने ट्रेनी स्टूडेंट्स को बता रहे थे कि किस तरह से लोग उनके पास आते हैं और सोचते हैं कि उनका मामला निपट जाएगा पर कभी-कभी कुछ ऐसा भी हो जाता है कि वो खुद नहीं कह पाते कि क्या कहें। उन्होंने एक किस्सा सुनाया। एक बार वो अपने केबिन में बैठे पुराने केसों की धूल झाड़ रहे थे और नए केसों की तैयारी कर रहे थे, तभी एक निम्न मध्यमवर्गीय महिला अंदर आई। साब... हां..साब मेेरा केस देख दो न.. वकील ने सोचा ये खुद खराब हालत में दिख रही है ये भला क्या फीस देगी और उनके पास बहुत से केस पहले से हैं। साब..आप मेरे वकील को बता दो कि क्या करना है? आप समझा दो न! वो बिना बोले ही कुर्सी पर बैठ गई। अच्छा बताओ मामला क्या है? साब मेरा आदमी नशेड़ी है और मेरे झोपड़े पर किराएदार ने कब्जा जमा लिया। मैं अपने सास-ससुर के पास रहती। घर-घर काम करती बाबूजी..घर खर्च उठाती। पति मेरे को प्यार करता-रात को मेरे बगैर सोता नहीं।
वकील सोचने लगे ये तो केस की बात कर रही थी यहां तो सेक्स आ रहा है। बाबूजी... मैं अपने मरद से बोली, किराएदार को भगा दे। वो भाड़ा भी नहीं देता था। मेरा मरद गया तो उन्होंने उसको पीटा और बोले कि जोरू साथ सो जाये तो भी झोपड़ा न छोड़ूंगा। बोलो बाबूजी ऐसा कभी होता है क्या? मैं क्यों उसके साथ सोती..झोपड़ा मेरा...हक मेरा..मैं सोची कि अब तो बहुत हो गया..मैं केस करूंगी। मैंने बाबूजी केस लगाया। कोरट में जाकर सबसे महंगा वकील किया। वकील बाबू बोले चल रहा है...पहली पेशी हुई..दूसरी हुई बाबूजी मैंने अपनी कमाई लगा डाली। वकील बाबू बोले चल रहा है..चल रहा है। बाबू जी उसने पूरी मेहनत की, पूरी-पूरी पर वो केस छोड़ बैठे..अब बाबूजी पैसा कम था सो मैं बोली कि अब कम पैसे वाला वकील करती हूं। मैंने उससे कम पैसे वाला वकील किया। वो भी पूरे दमखम से लड़े बाबूजी..मुझको कोरट में दिन-दिन भर बिठाते सिर्फ नाश्ते और चाय के दम पर वो पूरे दिन मेरा केस लड़ते...वो बोले जीत जाओगी। तो मैं बोली आपको खुश कर दूंगी वकील बाबू। वो मुझे देखकर मुस्काए बोले- छप्पनभोग या नानवेज से कम नहीं लूंगा। मैं बोली सबकुछ आपका है...जब बोलोगे परोस दूंगी। पर बाबूजी वो नियत दिन केस हार गए। अब मेरे पास पैसा कम था। वकील बाबू बोले दूसरी कोरट में जाओ...मैंने उनके पाव पकड़े बाबूजी आपसे शिकायत नहीं है...वो बोले तेरी हर तरह से मदद करूंगा। अब बाबूजी किराएदार ने मुझसे कहा कि तेरे को उठाकर ले जाऊंगा और कहीं मुंह दिखाने की नहीं छोड़ूंगा। मैं सोची बाबूजी अब तो इज्जत पर बन आई है। मैंने कुछ घरों का काम छोड़ दिया। अब बखत बचाकर मैं अगरबत्ती बनाती। मैं डरी बाबूजी अगर मुझे उठाकर ले गया। कुछ खिलापिला दिया। अगर ऑपरेसन फेल हो गया और मैं पेट से हो गई तो, मेरा मरद मेरे वास्ते अगर घर का सौदा कर बैठा तो? वकील सोचने लगे इसका पति इसके लिए क्या वाकई किराएदार से समझौता कर सकता है? ये बहुत सुंदर तो नहीं है। महिला बदस्तूर जारी थी-अब मामला निपटाने को मैं दूसरी कोरट पहुंची और अबकी बार पैसा कम था सो सस्ते वकील बाबू किये। बाबूजी उनका ऑफिस एक कमरे का था। मैंने पूरा पैसा लगाने की ठानी पर बाबूजी वो बोले कोरट में पूरा पैसा मत लगा। मैं देखी कि वो दिन-दिन भर मेरे ही केस की बात करते रहते। मैं सोची कि बाबूजी वो मेरे लिए इतना कर रहे हैं तो मैं बखत निकालकर उनके घर जाकर उनके घर का काम कर देती। फीस कम दे रही थी न उनको। उनकी पत्नी देर रात काम से लौटती थीं। मैं उनके घर जाकर खाना बना दिया कर देती। झाड़ू कर देती। अपनी अगरबत्ती बनाने के काम से थोड़ा बखत निकाल लेती। अब बाबूजी वो घर पर रहते और दिनभर मेरे केस की पढ़ाई करते। जब वो अंदर आते मुझसे कहते ऐ शांता तू कैसी है? तेरा मरद तुझ पे ध्यान नहीं देता पर तू उसका कितना ख्याल करती। मैं बोलती मेरा मरद है बाबूजी...प्यार भी तो करता है। वो कहते तेरी मेरी हालत एक सी है। मेरी औरत रात को सो जाती है और....बाबूजी मेरा केस देख लो न, अब वो कुछ न बोली। वकील साहब इतना तो समझ गए कि इस औरत का नाम शांता है और मकान के केस से ये परेशान है। उसकी लगातार बोलने की आदत ने उनको चुप्पा कर दिया था। वकील साहब बोले-अपने वकील को मेरे पास भेज दे। जी बाबूजी वो मानों मनमांगी मुराद पा गई हो। उसके बाद क्या हुआ सर? युवा ने पूछा। उसका वकील कभी मेरे पास नहीं आया। आपने जानने की कोशिश की कि उसका क्या हुआ? एक लड़की ने पूछा। नहीं वो उसके बाद कभी आई नहीं और दिखी भी नहीं। सर वो अपनी कहानी सुनाते-सुनाते रुकी क्यों? एक लड़के की उत्सुकता जागी। वकील की फीस चुकाने के लिए शांता ने उस वकील को अपना सबकुछ सौंप दिया। शांता का फायदा उसने खूब उठाया और शांता ये समझती रही कि वो वकील केवल और केवल उसके केस की ही तैयारी कर रहा है। शांता ये बोलने में हिचक रही थी कि वो उस वकील के साथ एक जिस्म और एक जान के साथ एक रूह भी हो रही थी। न्याय की देवी अंधी है और उसके हाथ में तराजू है कि कौन कितना माल दे सकता है तोला जा सके और जो पैसा नहीं दे सकता उससे और क्या निचोड़ा जा सकता है। न्याय ताकत वालों का है सच हो तो सच झूठ हो तो झूठ।
सर फिर कभी आपने ये जानने की कोशिश नहीं की कि उसका क्या हुआ? एक ट्रेनी ने पूछा। एक बार चपरासी से पूछा तो उसने बताया कि नये वकील बाबू ने उससे कहा कि वो ये केस नहीं देख सकेंगे तो वो उनके पांव में पड़ गई थी। फिर उसने और समझौते भी किये। वो उनकी ही हो गई। सब कुछ हुआ पर कोर्ट से उसके मकान का मामला न सुलझा या सुलझने नहीं दिया गया। तारीखें और तारीखें लगती गईं। आखिर वकील ने उसे समझाया और उसके मकान का समझौता हुआ और उस झोपड़े के उसे कुछ पैसे मिले, कुछ वकील और कोर्ट की कार्यवाही में खर्च हो गए। वकील की पत्नी को बिस्तर पर निशानियां मिलीं तो उसके घर में भी हंगामा हुआ। तमाशा हुआ। वकील ने शांता को ही बुरा बना दिया पर जानने वाले जानते थे। शांता भी बदनाम हुई। जंगल के कानून की मारी शांता भीड़ में कहीं खो गई। मेरे चपरासी की एक बात बस याद है- अरे बाबूजी समझौता किराएदार के साथ कर लेती तो शायद इतना तो न लुटती..चलो एक बात अच्छी रही साब उसने बच्चे का ऑपरेशन करवा रखा था वर्ना...पर एक बात जरूर थी आखिर तक शांता यही कहती रही- वकील बाबू ने तो पूरी-पूरी मेहनत की। उसने पुलिस में रिपोर्ट क्यों नहीं की...एक लड़की ने पूछा। पुलिस क्या करती है? उन्होंने पूछा। सर महिलाओं के लिए कानून हैं, एनजीओ हैं। लड़की ने दलील दी। बहुत अच्छी बात है.... सिर्फ एक अच्छी बात...हलाला तो कानून ही है न? वकील ने पूछा। देखो सिस्टम में हर स्तर पर भ्रष्टाचार है। पुलिस उसका वैधानिक रूप से बलात्कार कर लेती- ऐसे सवाल पूछे जाते कि वो इससे तो बंद कमरे में समझौता करना मंजूर कर लेती। एनजीओ कहां हैं? वहां तक पहुंचने का रास्ता आम नहीं है यहां बोर्ड लगा है कुत्ते से सावधान। गंभीर माहौल में हंसी खनकी। एनजीओ सिर्फ पैसा कमाने का जरिया है। अब वो चुप हो गए।
सर आपकी कानून के बारे में क्या राय है? एक ट्रेनी ने बीच में पूछा। कानून है जरूर है पर वो जंगल का कानून है। कानून बनते रहेंगे और टूटते रहेंगे पर जंगल का कानून हमेशा रहेगा। वकील चुप हो गए।
26 September, 2018

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