बुधवार, 30 दिसंबर 2020

हम इंदौर पर कभी हमला नहीं करेंगे! एलियन का कलमछाप द्वारा एक्सक्लूसिव इंटरव्यू

एक कलमछाप देर रात घर लौट रहा था. साइकल पर सवार थका और परेशान....तभी उसने देखा कि एक विचित्र की आकृति सडक़ पर भाग रही है...रात गहरी थी और उसे रामसे बंधुओं की फिल्मों की याद भी थी....कलमछाप ने सोचा कि चलो इसके पीछे चलता हूं...देखें क्या मामला है? हो सकता है कुछ फायदा हो जाए....कलमछाप उसके पीछे हो लिया... और एक जगह उन दोनों का सामना हो गया...कलमछाप ने देखा कि वो आकृति अजीब सी थी बिलकुल एलियन जैसी....वो उसे देखकर डर गई थी...कौन हो? एलियन....हे..एलियन को हिन्दी बोलता सुनकर कलमछाप हैरान हो गया उसे पता था कि एक आरटीआई में किसी ने भारत पर एलियन और पिशाचों के हमले और उनसे निपटने के बारे में जानकारी मांगी थी.. तुम एलियन हो...हां कितनी बार बताऊं हां भई हां...यहां क्या कर रहे हो...मैं यहां खाना खाने आया था सुना है यहां भोजभंडारे होते ही रहते हैं....हां पर अभी सीजन नहीं है सुबह आना श्राद्ध का खाना कहीं न कहीं तो मिल ही जाएगा...वो बात नहीं है..मुझे पौष्टिक खाना चाहिए...वो तो यहां मध्यान्हभोजन में भी नहीं मिलता तुम कहीं और चले जाओ...अच्छा..अब कलमछाप ने सोच अच्छा मौका है इसका एक्सक्लूसिव इंटरव्यू ले लेता हूं हो सकता है कहीं चांस मिल जाए...कलमछाप पेन डायरी निकालने लगा.. ये क्या कर रहे हो? वो घबराया...कुछ नहीं पेन-डायरी निकाल रहा हूं ताकि तुम्हारा इंटरव्यू ले सकूं...अच्छा अच्छा तो ये बात है..पूछो-पूछो शौक से पूछो वैसे भी मेरे ग्रह फाल्तूनोवा में सब मुझे गधा कहते हैं मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि मैं कितना समझदार हूं...
सवाल- क्या आपको मालूम है? एक आरटीआई आपके हमले के बारे में....हां पता चला था पर हमारा ऐसा कोई फ्यूचर प्लान नहीं है...सवाल- आप हमेशा विकसित देश में ही हमला क्यों करते हैं जैसा कि एवेंजर्स में बताया था...अरे यार हमले का कोई फायदा भी तो होना चाहिए भारत में हमला करके हमें क्या मिलेगा हां..वैसे इस फिल्म की पायरेटेड सीडी से फिल्म देखकर हमारे राजा मर गए..उनको डर बैठ गया कि अगर एवेंजर्स ने हमारे ग्रह पर हमला बोल दिया तो..सवाल- अगर आप इंदौर शहर पर हमला कर दें तो? अबे यहां हम हमला क्यों करेंगे? अरे ये स्मार्ट सिटी है..स्मार्ट मेरी नाक का बाल..सडक़ों में गड्ढे, आवारा ढोर, गंदगी, खराब व्यवस्थाएं, अपराधों का हाई ग्राफ...हम पागल हैं जो यहां हमला करेंगे... कलमछाप ने सोचा हम जिन बातों को गलत समझते हैं वास्तव में वो कितनी अच्छी हैं जिनकी वजह से हम एलियनों के हमलों से बचे हुए हैं...क्या सोच रहे हो? अगर हम यहां आते हैं तो हमारी गाडिय़ां गड्ढे में गिर जाएंगी हम जख्मी हो जाएंगे, मर गए तो क्या?...गंदगी से हम बीमार हो जाएंगे शायद मर भी जाएं... आवारा ढोर अगर हम पर हमला कर दें तो हमारा क्या होगा बताओ तो जरा...गाय-ढोर तो ठीक आवारा कुत्ते तो हमारा अगाड़ा पिछाड़ा सब फाड़ देंगे...रैबीज हो गया तो ये बीमारी हमारे ग्रह तक चली गई तो? तुम्हारे शहर में अपराधों का ग्राफ हाई है अगर किसी ने एलियन को चाकू मार दिया तो? यहां दुष्कर्म के मामले बच्चों के साथ तक हो रहे हैं अगर किसी ने हमारी एलियाना को या हमारे बच्चों के साथ...तुम्हारे शहर में नशा होता है-सटï्टा भी होता है हमारे एलियन नशे से बर्बाद हो जाएंगे...सट्टे में हमारे यहां की मुद्रा लगाकर हमारे ग्रह को दीवालिया कर देंगे... अपराधों का प्रभाव तो देखो..यहां पर तो तुम लोगों की रिपोर्ट पुलिस तक नहीं लिखती हम तो फिर परग्रही एलियन हैं यहां के कानून से बाहर...हमारा दिमाग खराब नहीं हो गया है जो इंदौर पर हमला करें.....अगर कभी भविष्य में विज्ञान उन्नत हो गया और इंदौरी तुम्हारे ग्रह पर हमला करने पहुंच गए तो? अरे हां ये तो बहुत खतरे की बात हो जाएगी...मैं जाकर अभी नवनियुक्त एलियन राजा से इस बारे में बात करता हूं. वैसे आपके पास तो अत्याधुनिक हथियारों से भी अत्याधुनिक हथियार होंगे...अरे यार पर वो तुम्हारे इंदौरीयों से ज्यादा नहीं हैं....हें वो कैसे? अरे तुम्हारे यहां तो लोग चम्मच को घिसकर चाकू बना लेते हैं ये टेक्रोलॉजी हमारे पास है ही कहां? और तो और अगर हमारे एलियन बंदूक लेकर आए तो तुम्हारा इंदौरी इन पर गुटका पीक देगा ये भी हमला है वायरसों का हमला...अरे हम तो इसे गंदगी मानते हैं ये तो हथियार निकला..हां तभी हम इंदौरियों से डरते हैं वो कहींसे भी कैसे भी हमला कर सकते हैं...अच्छा अब मैं चलता हूं एक सवाल और...पूछो..कुछ खास चीज जो तुम लेजाना चाहते थे पर ले नहीं जा सके और मौका मिले तो ले जाओगे..राहुल खाट हां...राहुल खाट हमारे ग्रह पर कुछ लोग ये ले गए हैं और आराम से इस पर सो रहे हैं...भाई जाते-जाते एक आखरी सवाल...पूछो पर इसके बाद नहीं...हां..भारत के सुपर हीरो शक्तिमान, क्रिश और फ्लाइंग जट्ट के बारे में तुम्हारा क्या ख्याल है....हाहाहाहा...ये टटपुंजिये अपने देश को नहीं सम्हाल सकते तुम हमारी बात करते हो...देखो शक्तिमान को साधुओं ने पाला था सो वो हिन्दू था एक खास वर्ग के लोगों ने उसका बहिष्कार कर डाला...ये देखकर क्रिश बिना धर्म का हो गया...फ्लाइंग जट्ट सिख है सो फिर खास वर्ग ने उससे दूरी बना डाली..कुछ दिन में दलित कहेंगे ये सुपर हीरो सवर्ण हैं हमें तो दलित सुपरहीरो चाहिए...फिर दबंग सुपरहीरो चाहिए..पाटीदार तो कहीं जाट और कहीं मराठा, हिन्दू-मुसलिम सुपरहीरो...जहां अच्छाई को भी धर्म की नजर से देखा जाता हो वहां का सुपरहीरो इन्हीं बुराइयों में फंसकर दम तोड़ देगा..वो हमारा मुकाबला क्या करेगा? अरे एक बात तो बताते जाओ भारत की कुछ चीज तो तुम्हारे यहां होगी...कुछ खास नहीं पर हमारे राजा रोज रजनी केन (कांट नहीं क्योंकि वो हर चीज कर सकता है) की पूजा करते हैं...अच्छा चलता हूं...पर मुझे और सवाल पूछने हैं...मैं एक-दो दिन बाद फिर आऊंगा तब कर लेना.. यहीं मिलूंगा..मेरा नाम जरूर लगा देना बतोड़ेंबो...तभी कहीं से आवारा कुत्तों ने उस पर हमला कर दिया और वो अंधेरे में गुम हो गया....कलमछाप लौट आया. ये उसी का हिस्सा है आगे के इंटरव्यू के लिए इंतजार करें जैसे कलमछाप को इंतजार है.......

गुरुवार, 24 दिसंबर 2020

राजा-रानी, मंत्री, चोर सिपाही तंत्री

ये कहानी सच है या झूठ इस बात से ज्यादा इस बात को समझना जरूरी है कि ऐसा क्योंकर हुआ।
राजा अपने सिंहासन पर मदिरा के मद में चूर होकर बैठा था तभी मंत्री वहां आया। महाराज......महाराज....। क्या हुआ? क्यों चिल्ला रहा है। राजन हमने अभी एक चोर को पकड़ा है, ये राजमहल से कुछ चोरी करके ले जा रहा था। प्रस्तुत करो....। चोर को लाए। वो डरा नहीं। बोल क्या चुरा रहा था? चोर ने अकड़कर कहा- जरा मंत्री से एकांत में बात करवाइये। राजा बोला- कर ले। मंत्री और चोर एकांत में आए। सुन भई मंत्री...मेरी घुमाफिराकर बात करने की आदत नहीं है। तू महारानी के साथ जो कक्ष में कर रहा था और वो जो चाहकर भी कह रही थीं ना ना रे ना। वो अगर बोल दूं तो। मंत्री चकराया-अरे ये तो बाप निकला। हे क्या सोच रहा है, बचना चाहता है तो अभी कि अभी सवालाख स्वर्ण मुद्राएं दे और राजकीय मुद्रा लगाकर सातकुएं और खेती की जमीन मेरे नाम लिख। मंत्री चालाक था वो बोला- मित्र मैं तो रानी से प्रेम करता हूं। राजा तो कांटा है कांटा ऊपर से कापुरुष भी तू राजा का वधकर दे। मैं तुझे राजा बना देता हूं। रानी को लेकर मैं आधा राज्य ले लूंगा आधा तेरा। चोर सोचने लगा। फिर बोला- रानी से बात करवा वो भी अकेले में तुझ पर यकीन नहीं है।
अब मंत्री सोच में पड़ गया फिर वो उसे लेकर रानी के कक्ष में गया। चोर की पूरी कहानी रानी को सुनाई और कहा कि वो चोर उससे इस बात का प्रमाण चाहता है कि वो भी उसकी प्रेमिका है या नहीं। रानी अकेले मेंं चोर के सामने थी। चोर के आधेनंगे बदन, विशाल भुजाओं और प्रबल पौरुष को देखकर वो मचल उठी। उसने उसे कमनीय अदाएं दिखायी। चोर न पिघला-देखो रानी ये देखकर तो हर कोई रीझ जाएगा मैं जो कहता हूं ध्यान से सुनो। रानी दौड़कर बाहर मंत्री के पास आई। वो मान गया। वो राजा का वध करेगा फिर तुम उसका फिर तुम राजा और मैं रानी। वाह, ये हुई न बात..जानता हूं तुम्हारे वशीकरण से तो साक्षात ब्रम्हदेव भी न बच पाएं। पर एक शर्त है मेरी...। बोलो रानी। मैं उस राजा का वध और इस नीच चोर का वध अपनी आंखों से देखना चाहती हूं। तो चलो जल्दी शुभस्य शीघ्रम्। वो राजा के कक्ष में पहुंचे। राजा कुछ होश में था- आए गए मंत्री...बहुत देर में आए। चोर ने एक चाकू फेंककर राजा को मारा तो वो उसके सीने के आर-पार हो गया। मंत्री ने तुरंत कृपाण से चोर की पीठ पर आघात किया पर वो दर्द से कर्राहकर वहीं गिर गया। राजरानी ने उसकी पीठ में कृपाण उतार दी थी अब चतुर रानी ने कृपाण घायल चोर को फेंककर मार दी। चोर घबरा गया। रानी तुमने तो कुछ और ही कहा था, चोर बोल पड़ा। चोर की आंखों के सामने रानी के कक्ष का दृश्य घूम गया। चोर ने रानी से कहा- मेरी बात ध्यान से सुनों क्यों इस मद्यपायी राजा या पौरुषहीन मंत्री से संबंध रखती हो। तुम मुझे अपने गले में पड़ा नौलखा हार दे दो तो मैं इन दोनों को मारकर तुमको इनके बंधन से मुक्त कर दूंगा। पर यहां तो कुछ और ही हो गया।
अब रानी मुस्कुरायी- क्या तुम पुरुष ही नारी से खेल सकते हो, कभी सीता बनाकर गर्भकाल में वन भेज देते हो तो कभी द्रोपदी के रूप में भरी सभा में उसका शीलहरण होते देखते रहते हो। कभी विधर्मी के रूप में उनको पवित्र करने के उद्देश्य से उनसे दुष्कर्म करते हो कहते हो इनमें आत्मा ही नहीं है और इसे धर्म का अंग बताते हो तो कभी जोधा के रूप में उपहार दे देते हो। चोर और न सह सका और वहीं गिर गया। रानी ने अपने खास सिपाही को बुलाया। जो बाहर ही खड़ा था, उसने चोर और रानी सहित मंत्री और रानी का पूरा वार्तालाप सुना था। जब मंत्री नहीं होता था तो यह सिपाही ही रानी का प्रेमपात्र होता था। चोर मर चुका था और दोनों हत्याएं उसके सिर थीं। अब रानी मुक्त थी। एक दिन बाद रात्रि को रानी शयनकक्ष में थी उसने बाहर से सिपाही को बुलाया वो कक्ष में आ गया। वो कक्ष के कपाट बंद करता उससे पहले रानी की मदपूर्ण आवाज आई- देखना कहीं कोई चोर न हो। सिपाही बोला-राजरानी अबकी मेरी बारी न हो। रानी ने प्याला लेकर अ_हास किया- अभी मुझे तुम्हारी आवश्यकता है। इस सब को जानकर इतिहास तंत्र के तंत्री ने लिखा-
किसी बात का गिला नहीं, शर्म नहीं हया नहीं, किरदार बदले मगर फसाना नया नहीं।
मोहरे अब मात देती हैं खिलाड़ी को, अब खेल भी बाहया नहीं।।

ग्वालिन का परमानंद

किसी गांव में एक ग्वालिन रहती थी। वह रोज एक पुरोहित के घर दूध देने जाया करती थी। पुरोहित का घर नदी के पार था। एक बार बारिश के मौसम में नदी ने रौद्र रूप ले लिया। इस कारण ग्वालिन पुरोहित के घर दूध देने नहीं जा सकी। दूसरे दिन जब ग्वालिन पुरोहित के घर गई तो पुरोहित ने उसे डांटा। इस बात पर ग्वालिन ने उसे बताया कि बारिश के कारण नदी का बहाव बहुत तेज था इसलिये वो नहीं आ पाई।
पुरोहित ने ग्वालिन से कहा कि भगवान श्रीहरि के नाम के सेतु (पुल) से लोग संसार के कष्टों की नदी पार कर जाते हैं तो इस उफनती नदी की क्या बात है? यह बात ग्वालिन के मन पर जम गई। अगले दिन फिर तेज बरसात हुई। नदी ने फिर रौद्र रूप ले लिया। पुरोहित को किसी काम से नदी पार जाना था पर वो उसके चरम बहाव को देखकर वापस लौट आया। कुछ देर बाद ग्वालिन उसके घर दूध देने आई। उसे आया देखकर पुरोहित को आश्चर्य हुआ। उसने उससे पूछा कि नदी का बहाव चरम पर है ऐसे में वो उसे पार कर उसके घर कैसे आई। उसी सेतु से जिसकी बात कल आपने बताई थी, ग्वालिन का सीधा सा उत्तर था। पुरोहित कुछ समझा नहीं इस पर ग्वालिन उसे लेकर नदी के पास पहुंची और श्रीहरि के नाम का जाप कर नदी के वेगवान पानी पर चलने लगी। यह देखकर पुरोहित ने भी ऐसा ही करने की कोशिश की पर वो असफल हो गया।
भगवान श्रीहरि विष्णु भावों के आग्रही हैं वह हृदय की पवित्रता और समर्पण देखते हैं स्तर नहीं इसलिये अपढ़ ग्वालिन भगवान की कृपा को प्राप्त कर गई वहीं ज्ञानी पुरोहित असफल हो गया।

बुधवार, 23 दिसंबर 2020

कहानी महादैत्य मिनाटोर की

(ये कहानी ग्रीक की लोक कथाओं पर आधारित है।)
ये कहानी शुरू होती है शक्तिशाली सम्राट एस्थेरियस या कहें एस्टेरिअन की मौत पर, एस्थेरियस जिसकी अपनी कोई संतान नहीं थी। उसके अनाथ राज्य को साथ मिला उसके सौतेले बेटे और उसकी बेइंतहा खूबसूरत पत्नी यूरोपा और देवताओं के राजा जूस की संतान मिनस का। मिनस ने एस्टेरियस के राज्य पर अपना दावा पेश किया पर उसके सामने मुसीबतें कम नहीं थी इसलिये उसने 12 ओलंपियंस में से पांचवे ओलंपियन समुद्रों और तूफानों के देवता पोसेइडन से प्रार्थना की कि वो उसे अपना प्रतीक एक सांड दें जिससे कि वो अपने दुश्मनों पर यह जाहिर कर सके कि उसका राज्याभिषेक होना देवताओं की भी इच्छा है। उसने वादा किया कि वो राज्य मिलने के बाद उस सांड को पोसेइडन को बलि चढ़ा देगा।
पोसेइडन ने उसकी प्रार्थना स्वीकार करते हुए उसे एक सांड दिया। पोसेइडन ने अपना काम किया और मिनस को राज्य मिल गया।
अब मिनस की बारी थी अपना वादा निभानेे की पर मिनस ने जैसे ही उस सांड को देखा उसका मन बदल गया। सांड श्वेत रंग का और बेहद हृष्ट-पुष्ट था। उसकी सुंदरता और शक्ति को देखते हुए मिनस ने निर्णय लिया कि वो उस सांड की जगह किसी और सांड को बलि चढ़ायेगा और इस सांड को सुरक्षित रखेगा।
शीघ्र ही क्रोधित होने की प्रकृति वाले पोसेइडन इस बात पर नाराज हो गये और मिनस की पत्नी पेसिफे के मन में उस सांड के लिये अनुराग पैदा कर दिया।
मन में इस सांड से संसर्ग की इच्छा से तड़पती पेसिफे ने देवताओं के शिल्पी डिडेलस पर अपनी मंशा जाहिर की। डिडेलस ने उसके लिये एक लकड़ी की गाय बनाई।
पेसिफे ने इस काष्ठ की गाय में बैठकर इस सांड से संसर्ग किया। इस मिलन से पेसिफे गर्भवति हुई और उसने एक विचित्र बच्चे को जन्म दिया। इस बच्चे का सिर एक सांड का और धड़ एक मानव का था।
इस विचित्र बच्चे को इसके दादा एस्टेरिअन ने नाम दिया मिनाटोर जिसे मिनाटोरस के नाम से भी जाना गया।
इस बच्चे ने तेजी से विकसित होना शुरू कर दिया। जैसे-जैसे वो बढ़ता गया उसकी भूख भी बढ़ती गई। दूसरी ओर बदनामी के डर से पेसिफे ने डिडेलस को एक ऐसी भूलभुलैया का निर्माण करने का आदेश दिया जिसमें से न तो मिनाटोर बाहर आ सके और न ही उसमें जाने वाला बाहर आने का रास्ता कभी खोज ही पाये। ताकि उसकी बदनामी सामने न आ पाये और यदि कोई इस बारे में जानने की कोशिश करे तो वो ही खत्म हो जाये।
बहुत जल्द ये अंधेरी भूलभुलैया महान दैत्य मिनाटोर की आश्रय स्थली बन गई। यहां मिनाटोर को मानव मांस दिया जाता था यहां खासकर उसे एथेंस के चौदह महान ज्ञानवान लोगों को भोज्य के तौर पर प्रस्तुत कर दिया गया जिनको एथेंस शहर से कुर्बानी के लिये हर नौ साल के अनुबंध पर मिनोस के आदेश पर लाया गया था। इसके पीछे मिनोस का बदला भी था जो वो एथेंसवासियों से लेना चाहता था। उसका पुत्र एंड्रोगिनस एथेंसवासियों की जलन का शिकार हो गया था जो उसके द्वारा उनको (एथेंसवासियों) पेनेथेनिक क्रीड़ाओं में हराये जाने से उपजी थी।
मिनाटोर की भूख बढ़ती गई और लोगों की कुर्बानी होती रही। पर जैसे हर रात की सुबह होती है वैसे ही हर पाप का अंत होता है और मिनाटोर का भी अंत था। एथेंस के दुर्भाग्य को बदलने के लिये भी एक योद्धा का आगमन हुआ। शैतान कितना भी ताकतवर क्यों न हो ईश्वर से उसकी ताकत हमेशा ही कम होती है क्योंकि उसको भी ईश्वर ने ही जन्म दिया था। तीसरी बार जब एथेंसवासियों को कुर्बानी के लिये ले जाया जा रहा था तब इनके बीच थीसियस नामक योद्धा क्रीट की यात्रा करने के लिये इनके साथ चला गया या कि उसे भी मिनाटोर के भोजन के लिये ले जाया गया।
क्रीट में मिनोस की बेटी एरिडन थीसियस को दिल दे बैठी। उसने निश्चय किया कि वो थीसियस की मदद करेगी। उसने देवताओं के शिल्पी और भूलभुलैया के निर्माता डिडेलस से प्रार्थना की कि वो उसे भूलभुलैया का रहस्य बताये। डिडेलस का यह निश्चय कि वो भूलभुलैया के बारे में किसी को नहीं बतायेगा प्रेम की शक्ति के आगे नत हो गया और उसने उस भूलभुलैया को खोल दिया। इस घुप्प अंधकार में मिनोटोर कहां होगा इसका किसी को भी पता नहीं था। अपनी मौत से मुकाबला करने जा रहे थीसियस को एरिडेन ने धागों की गेंद दी जिससे कि वो मार्ग में भटके नहीं। एरिडेन ने अमत्र्य देवताओं से प्रार्थना की कि वो थीसियस की रक्षा करें। एरिडन ने थीसियस को यह भी बताया कि मिनाटोर को उसी के अस्त्र-शस्त्र से मारा जा सकता है। थीसियस ने एरिडन से वादा किया वो जिंदा लौटने की कोशिश करेगा और ये जानकारी मददगार थी। अगर किस्मत में हुआ तो उनका मिलन होगा।
थीसियस भूलभुलैया के अंधकार में गुम हो गया। समझदार थीसियस ने धागों की सहायता से मार्ग को चिन्हित किया ताकि वो वहां भटके नहीं। अंधकार में वो शवों की दुर्गंध से परेशान हुआ, अधखाये शवों से टकराया, नरकंकालों में उलझा और अंत में वो भूलभुलैया के केंद्र में जा पहुंचा। यहां उसका मुकाबला हुआ महान योद्धा मिनाटोर से। थीसियस ने उसे जितना शक्तिशाली समझा था वो उतना शक्तिशाली नहीं था...वो उससे भी अधिक अतुलनीय रूप से शक्तिशाली था। उन दोनों में घमासान युद्ध हुआ जिसमें मिनाटोर का सींग टूट गया थीसियस ने उसी सींग से मिनाटोर की छाती भेद दी और इस प्रकार महान मिनाटोर का अंत हुआ और क्रीट और एथेंस को इस महान राक्षस से मुक्ति मिली।

The Girl at the Bus stop

When the bus crossed stop number 8 a boy looked at the stop. He looked a girl out off the window her face was covered by a cloth. The name of this boy was Niket. Each and every day looking her was his routine work or in other words he was habitual of it. What a charm she had that he did not stop him looking her. He had a great love for her. It was a silent love but he did not tell her. She was waiting for another bus he thought.
One day she entered in the same bus he was going by. All time he looked her by pretend. But that day was a shocking for him. He did not see the girl at the point. Many days were passed he did not see the girl. Since a long time she was not stand there for any bus. Her absences pained him a lot but he was unable to do anything even he did not know her name then what to say about her whereabouts. After one and a half year he got married with a local girl Suruchi. But he did not forget her. One week has passed of his marriage but he did not comfortable in his love life. His wife Suruchi was also knowing this but she did not say anything.
One day she requested him that she had some work in bank and after doing that could he drop her to her mother’s home. He unwillingly agreed. He took her to Bank after some time she came out he looked her face it was covered by cloth and she was looking similar to the girl to whom he looked at bus stop.
He put the Motor bike on stand and asked to her that before one and a half year was she awaited for bus at bus stop number 8 for some days.
She replied- Yes, but why. Now he hold her and kissed her. The “but why” was muted in the lips touching.
As he freed herself she said hey! she surprised at this- What happened.. What are you doing.. Are you crazy...O my god...People are noticing all this..
The only words he said were- I got the peace of my heart. I got the girl for whom my heart was waiting at the bus stop. Suruchi was surprisingly looking all this without understanding the matter.

कुएं का रहस्य

दोनों लापता दोस्तों का आज तक पता नहीं चला है। पर लोगों को आज भी उस सड़क पर जाने में डर लगता है। कुछ दुस्साहसियों ने वहां से गुजरने की कोशिश ...