बुधवार, 23 दिसंबर 2020

कहानी महादैत्य मिनाटोर की

(ये कहानी ग्रीक की लोक कथाओं पर आधारित है।)
ये कहानी शुरू होती है शक्तिशाली सम्राट एस्थेरियस या कहें एस्टेरिअन की मौत पर, एस्थेरियस जिसकी अपनी कोई संतान नहीं थी। उसके अनाथ राज्य को साथ मिला उसके सौतेले बेटे और उसकी बेइंतहा खूबसूरत पत्नी यूरोपा और देवताओं के राजा जूस की संतान मिनस का। मिनस ने एस्टेरियस के राज्य पर अपना दावा पेश किया पर उसके सामने मुसीबतें कम नहीं थी इसलिये उसने 12 ओलंपियंस में से पांचवे ओलंपियन समुद्रों और तूफानों के देवता पोसेइडन से प्रार्थना की कि वो उसे अपना प्रतीक एक सांड दें जिससे कि वो अपने दुश्मनों पर यह जाहिर कर सके कि उसका राज्याभिषेक होना देवताओं की भी इच्छा है। उसने वादा किया कि वो राज्य मिलने के बाद उस सांड को पोसेइडन को बलि चढ़ा देगा।
पोसेइडन ने उसकी प्रार्थना स्वीकार करते हुए उसे एक सांड दिया। पोसेइडन ने अपना काम किया और मिनस को राज्य मिल गया।
अब मिनस की बारी थी अपना वादा निभानेे की पर मिनस ने जैसे ही उस सांड को देखा उसका मन बदल गया। सांड श्वेत रंग का और बेहद हृष्ट-पुष्ट था। उसकी सुंदरता और शक्ति को देखते हुए मिनस ने निर्णय लिया कि वो उस सांड की जगह किसी और सांड को बलि चढ़ायेगा और इस सांड को सुरक्षित रखेगा।
शीघ्र ही क्रोधित होने की प्रकृति वाले पोसेइडन इस बात पर नाराज हो गये और मिनस की पत्नी पेसिफे के मन में उस सांड के लिये अनुराग पैदा कर दिया।
मन में इस सांड से संसर्ग की इच्छा से तड़पती पेसिफे ने देवताओं के शिल्पी डिडेलस पर अपनी मंशा जाहिर की। डिडेलस ने उसके लिये एक लकड़ी की गाय बनाई।
पेसिफे ने इस काष्ठ की गाय में बैठकर इस सांड से संसर्ग किया। इस मिलन से पेसिफे गर्भवति हुई और उसने एक विचित्र बच्चे को जन्म दिया। इस बच्चे का सिर एक सांड का और धड़ एक मानव का था।
इस विचित्र बच्चे को इसके दादा एस्टेरिअन ने नाम दिया मिनाटोर जिसे मिनाटोरस के नाम से भी जाना गया।
इस बच्चे ने तेजी से विकसित होना शुरू कर दिया। जैसे-जैसे वो बढ़ता गया उसकी भूख भी बढ़ती गई। दूसरी ओर बदनामी के डर से पेसिफे ने डिडेलस को एक ऐसी भूलभुलैया का निर्माण करने का आदेश दिया जिसमें से न तो मिनाटोर बाहर आ सके और न ही उसमें जाने वाला बाहर आने का रास्ता कभी खोज ही पाये। ताकि उसकी बदनामी सामने न आ पाये और यदि कोई इस बारे में जानने की कोशिश करे तो वो ही खत्म हो जाये।
बहुत जल्द ये अंधेरी भूलभुलैया महान दैत्य मिनाटोर की आश्रय स्थली बन गई। यहां मिनाटोर को मानव मांस दिया जाता था यहां खासकर उसे एथेंस के चौदह महान ज्ञानवान लोगों को भोज्य के तौर पर प्रस्तुत कर दिया गया जिनको एथेंस शहर से कुर्बानी के लिये हर नौ साल के अनुबंध पर मिनोस के आदेश पर लाया गया था। इसके पीछे मिनोस का बदला भी था जो वो एथेंसवासियों से लेना चाहता था। उसका पुत्र एंड्रोगिनस एथेंसवासियों की जलन का शिकार हो गया था जो उसके द्वारा उनको (एथेंसवासियों) पेनेथेनिक क्रीड़ाओं में हराये जाने से उपजी थी।
मिनाटोर की भूख बढ़ती गई और लोगों की कुर्बानी होती रही। पर जैसे हर रात की सुबह होती है वैसे ही हर पाप का अंत होता है और मिनाटोर का भी अंत था। एथेंस के दुर्भाग्य को बदलने के लिये भी एक योद्धा का आगमन हुआ। शैतान कितना भी ताकतवर क्यों न हो ईश्वर से उसकी ताकत हमेशा ही कम होती है क्योंकि उसको भी ईश्वर ने ही जन्म दिया था। तीसरी बार जब एथेंसवासियों को कुर्बानी के लिये ले जाया जा रहा था तब इनके बीच थीसियस नामक योद्धा क्रीट की यात्रा करने के लिये इनके साथ चला गया या कि उसे भी मिनाटोर के भोजन के लिये ले जाया गया।
क्रीट में मिनोस की बेटी एरिडन थीसियस को दिल दे बैठी। उसने निश्चय किया कि वो थीसियस की मदद करेगी। उसने देवताओं के शिल्पी और भूलभुलैया के निर्माता डिडेलस से प्रार्थना की कि वो उसे भूलभुलैया का रहस्य बताये। डिडेलस का यह निश्चय कि वो भूलभुलैया के बारे में किसी को नहीं बतायेगा प्रेम की शक्ति के आगे नत हो गया और उसने उस भूलभुलैया को खोल दिया। इस घुप्प अंधकार में मिनोटोर कहां होगा इसका किसी को भी पता नहीं था। अपनी मौत से मुकाबला करने जा रहे थीसियस को एरिडेन ने धागों की गेंद दी जिससे कि वो मार्ग में भटके नहीं। एरिडेन ने अमत्र्य देवताओं से प्रार्थना की कि वो थीसियस की रक्षा करें। एरिडन ने थीसियस को यह भी बताया कि मिनाटोर को उसी के अस्त्र-शस्त्र से मारा जा सकता है। थीसियस ने एरिडन से वादा किया वो जिंदा लौटने की कोशिश करेगा और ये जानकारी मददगार थी। अगर किस्मत में हुआ तो उनका मिलन होगा।
थीसियस भूलभुलैया के अंधकार में गुम हो गया। समझदार थीसियस ने धागों की सहायता से मार्ग को चिन्हित किया ताकि वो वहां भटके नहीं। अंधकार में वो शवों की दुर्गंध से परेशान हुआ, अधखाये शवों से टकराया, नरकंकालों में उलझा और अंत में वो भूलभुलैया के केंद्र में जा पहुंचा। यहां उसका मुकाबला हुआ महान योद्धा मिनाटोर से। थीसियस ने उसे जितना शक्तिशाली समझा था वो उतना शक्तिशाली नहीं था...वो उससे भी अधिक अतुलनीय रूप से शक्तिशाली था। उन दोनों में घमासान युद्ध हुआ जिसमें मिनाटोर का सींग टूट गया थीसियस ने उसी सींग से मिनाटोर की छाती भेद दी और इस प्रकार महान मिनाटोर का अंत हुआ और क्रीट और एथेंस को इस महान राक्षस से मुक्ति मिली।

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