रविवार, 25 मार्च 2018

मौत से मुकाबला-10: आग से खेलने की तैयारी

दूसरे दिन मछलियों को बाजार में बेचा गया। जिससे कुछ खास आमदनी नहीं हुई। रात को हमने एक छोटे से होटल में घटिया किस्म का खाना खाया था और बेकार किस्म की वाइन भी पी थी पर ये सस्ता था। अब नेवल को एक समुद्री व्यापारी मिला जिसका नाम था- राबर्ट बेनफेल, ये हमारे जहाज से दूर के देशों में व्यापार करना चाहता था। उनसे ज्यादा रेट दिया तो नेवल तैयार हो गया। अब हमारी ट्रिप लगातार होने वाली थी। हमारे पास अपने घर जाने का भी मौका नहीं था। हमको इस वक्त कुछ पैसे मिले जिनको हमने इकॉनोमिकल सिक्यूरिटीज नामक की छोटी सी संस्था के माध्यम से अपने गांव पहुंचा दिया। हमें सबसे पहले कुछ रसायन और काफी सारा एंटिक सामान यूनाइटेड किंगडम पहुंचाना था। हम सामान लेकर निकल पड़े। हमको पता चला कि जर्मनी और पोलैंड के बीच कुछ तनाव की स्थिति बन रही है। समुद्र में आते-जाते जहाजों को खतरा है। हम धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे। आप लोगों को बता दूं कि पूरे जहाज पर रोशनी करने के लिए हम छोटी चिमनियों का इस्तेमाल करते थे। जर्मनी और पोलैंड पर फारेंसो चुटकियां लिया करता था और इस तनाव के लिए लंदन को जिम्मेदार बताता था। जिसका कोई विशेष कारण तो नहीं था पर बैन इस पर भड़क जाता था। दोनों में ऐसे बात होती थी मानों एलेक्स और हनीबल आमने-सामने हो गए हों। नोबल इस पर कहता- मुझे औरतें दोनों ही देशों की रसीली लगती हैं। क्वींन मुझसे कहें कि पैर चाटो तो उसे पूरा खा ही जाऊंगा। बैन कहता- नोबल, मैं तेरी टांग तोड़ दूंगा। इस पर एडम कहता- तब तो ये कामुक लंगड़ा ही कहलाएगा पर जैसे ही नेवल आता सब काम में लग जाते मानों कुछ हुआ ही न हो।
नेवल को एंटिक सामान का कुछ अनुभव था। राबर्ट ने नेवल को कहा था कि वो एंटिक सामान की जांच कर ले। नोबल ने हमें बताया कि इंग्लैड की महारानी दुनियाभर के एंटिक सामान को लंदन के पैलेस में इकट्ठा कर रही है। उसके पास एशिया के जादू-टोने वाले देश इंडिया का एक नायाब हीरा भी है। ये भारतीयों ने उसे भेंट किया है। वो ईस्ट इंडिया कंपनी के मार्फत महारानी के हाथों का बोसा लेते हैं और उनको अपनी मल्लिका स्वीकारते हैं। नोबल एक बार भारत गया था। उसने यहां के बारे में जो बताया वो आश्चर्यजनक था। उसने बताया कि यहां के लोग एक-दूसरे का शोषण करने में ही लगे रहते हैं। यहां की महिलाएं बेइंतहा खूबसूरत हैं। खाना लजीज है बस एक बात की कमी है...वो है लोगों में एकता की भावना। यहां के लोग दर्जों में बंटे हुए हैं। वो पत्थर के दस से बीस हाथ वाली मूर्तियों की पूजा करते हैं और कहीं-कहीं जानवरों की बलि भी चढ़ाते हैं कभी-कभी आदमी की भी। आदमी के मरने के बाद औरत को उसकी लाश के साथ जलाया जाता है। हाय...कमनीय बदन को ये लोग कैसे आग के हवाले करते हैं। शैतान के बच्चे। उसका बस चलता तो वो ऐसी औरतों को अपने साथ ले आता और .....खैर, इंडिया के लिए मैं कैसे सोचूं मेरी अपनी भी समस्याएं हैं। इंडिया नेवल भी जा चुका था वो सिर्फ इतना कहता था- ये हम्मालों का देश है। इनके पास जो कुछ भी अच्छा हो लूट लो या फिर दबाव दो, ये खुद ही सबकुछ दे देंगे। अपने मुल्क की संपदा और औरतें भी। कैसा देश है ये?
ये सब सुनकर जोनाथन कहता-मुझे एक खूबसूरत भारतीय लड़की ला दो। मैं उससे शादी करूंगा। इस बैन ने कहा- आम तू लगा, रस हम पीयेंगे। ये बात खून खौलाने वाली थी पर लड़ाई और फिर होने वाली पिटाई के डर से मैं और जोनाथन चुप ही रहे। जहाज पोर्ट छोड़ चुका था। नेवल ने एंटिक सामान की जांच की, यहां पर उसे एक किताब मिली जिसमें हिब्रू और लेटिन भाषा में न जाने क्या लिखा था? नेवल को ये बेकार लगी और उसने इसे रद्दी में रख दिया। जब नेवल वहां नहीं था। जोनाथन वो किताब अंदर से निकाल लाया। हमें उस किताब की उपयोगिता समझ में नहीं आई। जोनाथन ने कहा कि वो रात में बताएगा कि ये क्या है? रात में जब मैं, एडम और वो अकेले थे तब उसने वो किताब निकाली। जोनाथन को हिब्रू और लेटिन का थोड़ा-बहुत ज्ञान था। पर ये खतरनाक तो नहीं था? जोनाथन हमें अकेले में ले गया और बताया कि ये किताब एक तांत्रिक दस्तावेज है जिसमें आत्माओं से संपर्क करने, प्रेतों और चुड़ैलों को वश में करने की विधा का वर्णन है और वो ये समझ सकता है। उसने इसे पढ़ा है। प्रमाण के तौर पर उसने हमें एक मंत्र बताया- ओ एरिया इन नोमिने वोकेम्स स्पिरिटम वेस्ट्रम। इसका अर्थ था ओ हवाई आत्मा तुम्हारे नाम पर हम आत्मा को बुलाते हैं। अगर मोमबत्ती जलाकर तारे में बैठकर इसे पढ़ा जाए तो शक्तिशाली आत्मा आती है। एकदम से जहाज को अप्रत्याशित झटका लगा। मानों आत्माएं कह रही हों आग से मत खेलो। हम तीनों ने एक-दूसरे का मुंह देखा। आत्मा समुद्र में जमीन से ज्यादा ताकतवर होती है- जोनाथन ने बताया। एडम ने कहा- ये बेवकूफी है। जो दूसरी दुनिया के हैं उन्हें इस दुनिया में बुलाने का क्या सबब? ये शैतानी खुराफात है। जीसस इससे बचाए। जोनाथन ने मेरा मुंह देखा-मानों मुझे आश्वस्त कर रहा हो इसमें डर की बात है ही क्या? एडम की रुचि न देख जोनाथन ने कहा कि वो आत्मों से संपर्क करने का सरल तरीका बताएगा। इसके बाद हम आकर सो गए। दूसरे दिन जब हम उठे तो देखा आसमान बादलों से घिर चुका था। हवा नमींदार, भारी और तेज थी। जहाज तेज हिचकोले खा रहा था। नेवल डेक पर खड़ा होकर समुद्र को देख रहा था। उसका इत्र कुछ तीखा महक रहा था। आपको बता दूं समुद्र यात्रा के दौरान हम महीनों तक नहा नहीं पाते थे। बदन की बदबू मिटाने के लिए इत्र का प्रयोग किया जाता था, पर हमको तो वो भी नसीब नहीं था। जोनाथन ने कहा कि आज रात को हम एक आसान तरीके से आत्माओं से संपर्क करेंगे। आपको नहीं लगता कि ये आग से खेलने की तैयारी जैसा कुछ था।

मौत से मुकाबला 9: महाविनाश की आहट

जिंदगी और समुद्र यात्रा में बहुत सी समानताएं हैं। दोनों में ही कल क्या होगा इसका कोई पता नहीं रहता। मौत से मुकाबला दोनों ही सूरतों में करना ही होता है। मैं वापस लौटा तो पता चला कि हमारा जहाज बेचा जा चुका है। वहां मुझे जोनाथन मिला जो मेरी ही तरह भ्रमित था। वो भी गांव से हाल ही में आया था। तभी वहां एडम आया। वो हमें हमारे नए जहाज की ओर ले गया। नेवल को गत यात्रा से बहुत लाभ था। उसके कई कर्ज चुकाए जा चुके थे। एडम ने बताया कि जो कटोरा मैंने चुराया था वो एक प्राचीन शिल्प था। जिसको बेच पाना आसान नहीं था। उसे काले बाजार में बेच गया। जहां उसकी कीमत इतनी मिली कि दो जहाज खरीदे जा सकते थे। यही हाल उस छड़ी और अंगूठी का था जो उसने और जोनाथन ने चुराई थी।
खैर, वो हमारे ही माल से धनवान हो गए और हम वही रह गए, हम्माल, पर हम कर ही क्या सकते थे? हम नए जहाज पर पहुंचे। नेवल ने हमारा कोई खास वेलकम नहीं किया। पहुंचते ही काम में लगा दिया। नेवल का व्यवहार काफी बदल गया था। वो घमंडी हो गया था। अब उसके पास पर्याप्त पैसा था। वो समुद्र के बीच में जाकर मछली पकडऩा चाहता था। जो उसका स्वयं का व्यवसाय था। विशाल जालों को सुलझते हुए हम लोगों ने एक राइजिंग लूनर फोर्टनाइट यानी पंद्रह दिन का शुक्ल पक्ष का अभियान शुरू किया। जहाज अब एक ऐसे अभियान पर था जो हम सबके लिए बेहद अंजान था। हम गहरे समुद्र में ध्रुव की ओर जा रहे थे। नेवल ने हम से कह दिया था कि अब मौसम बदल रहा है और हम समुद्र की पहली बारिश से मुकाबला करेंगे। जहाज में मैं, एडम, जोनाथन के साथ बैन, जैमी, नोबल और फॉरेसो भी थे। शाम होते-होते हम समुद्र में हवाओं की सहायता से पांच सौ मील से भी ज्यादा आ चुके थे। आसमान में बादल जुट रहे थे। ये काफी भयानक लग रहा था। एक ओर चांद बढ़ रहा था दूसरी ओर मौसम खराब हो रहा था। हमने जाल फैलाकर समुद्र में फेेंका और कुछ देर रुकने के बाद एक यंत्र की सहायता से उसे खींचा। जाल में एकसाथ कई मछलियां फंस गई थीं। हमने कुछ खास मछलियों को छांटा जिनके बारे में नेवल ने हमें बता रखा था। अभियान पूरा किए बगैर ही जहाज को वापस लौटा लिया। देर रात हम किनारे पर पहुंचे। समुद्र उफन रहा था। नींद खराब कर हमने काम किया इसके बावजूद जोनाथन मुझे देखकर मुस्कुरा रहा था कि देखो हमारी मजबूरी। एडम काम में जुटा था। हम सब काम में जुटे थे पर ये नहीं जानते थे कि हम अगला अभियान हमारा आखरी अभियान होगा। हम शायद महाविनाश की आहट को सुन नहीं पा रहे थे पर मौत को इससे कोई मतलब था ही नहीं।

सोमवार, 19 मार्च 2018

आफत

तैयब को अब्बा समझाते थे कि अरे जरा काम किया करो। दिनभर दुकान पर बैठकर झक मारा करते हो। या तो सो जाते हो या टीवी सीरियलों में हसीनों को ताका करते हो। दुकान का काम नौकर जमाल सम्हाल लिया करता था। बस हिसाब देख लिया करो और दोपहर बाद जमात के लिए काम किया करो।
तैयब के अब्बा अलीक भाई अपनी जमात के खासमखास थे। वो जमात में अपनी गद्दी बड़ी मुश्किल से जमाए बैठे थे। अपने बाद वो वारिस के बतौर तैयब को उस गद्दी पर जमाना चाहते थे पर तैयब को जमात से कोई लेना-देना ही नहीं था। अलीक का बड़ा ख्वाब था कि तैयब इंजीनियरिंग करे पर तैयब कहता इंजीनियर बनूंगा तो आप लोहा-लंगड़ का कबाड़ खाना खोलकर दे देंगे। अलीक सोचते ये डॉक्टरी ही पढ़ ले। तैयब कहता हकीमीदवाखाना खुलवा दोगे।
तैयब के मन में सिर्फ एक ख्वाब था जैसे उसके दूसरे दोस्त अमेरिका और ब्रिटेन में तिजारत करते घूम रहे थे वो भी ऐसा ही करे पर अलीक को मालूम था कि ये जनाब अमेरिका जाएंगे भी तो फांकामस्ती ही करेंगे। वहां के जिस्मो के बाजार में जाएंगे और पैसे की ही नुमाइश करेंगे उसे लुटाएंगे ही। वो तो अलीक भाई का जमात में दबदबा था जो कमाल भाई ने अपनी कमसिन लड़की की पढ़ाई छुड़ाकर उसका निकाह तैयब से करवा दिया। वर्ना ऐसों को नामदार लोग अपनी बेटी न देते। खैर, अलीक ने तैयब को बहुत समझाया। बेटा, मेरा भरोसा क्या? शकर तो पहले से ही है, अब तो दिल की बीमारी की बात भी सुलेमान डॉक्टर कर रहे हैं। बेटा, वक्त रहते सम्हल जा। जिंदगी उतनी आसा न नहीं है जितनी तुझे महसूस हो रही है।
एक दिन वही हुआ जिसका डर था। अलीक को दिल का दौरा पड़ा। उनको अलनूरानी अस्पताल ले गए। हलका झटका था वो जल्द वापस आ गए पर तैयब को अब अक्ल आ गई। उसने जमात का एक बड़ा आयोजन रखा क्योंकि जल्द जमात के चुनाव होने वाले थे। इस बार जमात से किसी के सियासत में जाने का मौका भी था। नेता तिवारी और यादव दोनों जमात को सियासत में लाना चाह रहे थे।
ये आयोजन था, निकाह का, गरीब और मिडिल क्लास जमात की लड़कियों का निकाह होना था । तैयब ने यहां-वहां से पैसा जुटाया। चांदी की पायल से लेकर कूकर और दूल्हे को घड़ी से लेकर स्मार्ट फोन तक देने की कोशिशें की गईं। लकी ड्रॉ रखा गया। नाच-गाने के साथ जमात के नामकमाने वाले बच्चों और बुजुर्गों का सम्मान। दावत तो होनी ही थी। तैयब की बेगम हुस्ना को भी काम पर लगा दिया। उसने भी इसी दौरान जमात की महिलाओं का कार्यक्रम भी रख दिया। यानी जमात के हर दर्जे को खुश करने का इंतजाम था। वैसे, चिंता की खास बात थी नहीं जमात के लगभग हजार-पांच सौ लोग ही थे। इस मौके पर नेता तिवारी या यादव के आने की बात भी हो रही थी। जो नेता अलीक के खिलाफ थे उनकी इस आयोजन पर गिद्ध नजर थी।
खैर, कार्यक्रम तय दिन शुरू हुआ। गंजानंद की धर्मशाला किराए पर ली। अंदर ऐसा माहौल बनाया कि जन्नत भी शर्मा जाए। दुल्हनों को हसीन लिबासों और मेकअप से सजाया गया। इसके लिए फिरदौर ब्यूटी पार्लर वाली आब जहां और उनकी साथी मिस सुंदरी शर्मा थीं। मिस सुंदरी का भी शौएब से चक्कर चल रहा था। जल्द वो भी जमात का हिस्सा होने वाली थी।
अब कार्यक्रम शुरू हुआ। अलीक बाहर कुर्सी पर जा बैठे और तैयब खुद गुलाब के फूल देकर सबका इस्तकबाल करने दरवाजे पर जा खड़ा हुआ। लोग अंदर जाते बातें करते वाह, क्या अदब है, क्या खिदमत की है जमात की। जमात के यहां-वहां से कबाड़कर 51 जोड़े इकट्ठे किए थे। मौका देखकर कई तो अपने नाबालिगों को भी यहां ले आए थे। उनको पैसा बचाना था, इनको भी गिनती बढ़ानी थी। यहां सरकारी दबाव हो ही नहीं सकता था। बस...
तैयब ने दरवाजे से बाहर देखा। ममनून भाई का बाइक खड़ी करने को लेकर किसी से झगड़ा चल रहा था। तैयब वहां जा पहुंचा। नेतागीरी दिखाए। ऐ...यहां गाड़ी मत लगा। यहां जमात का प्रोग्राम है। जिससे झगड़ा हो रहा था वो भी कम नहीं थे। वो तीन-चार करीब थे। अबे हम रोज यहां बाइक लगाते हैं। जनाब अदब से बात कीजिए। अबे तमीज से .... तेरी....तेरे..... में ......घुसेड़ देंगे। अब झगड़ा बढ़ गया। तैयब के साथ दो-चार और आगए। मारपीट शुरू हो गई। वो तीन-चार तैयब और उसके साथियों पर भारी पड़ गए। किसी ने तैयब की खूबसूरत दाढ़ी पकड़कर उसे तमाचे ही तमाचे रसीद कर दिए तो किसी ने किसी की दाढ़ी ही नोच डाली। किसी के कपड़े फटे, किसी का चश्मा टूटा। जब इससे भी जी न भरपाया तो चाकू भी चल गया।
जब तक मामला समझ दूसरे लोग आते इसके पहले ही बदमाश भाग गए। तैयब को पुलिस स्टेशन ले गए। बहुत देर तक इस बात को लेकर विवाद हुआ कि मामला कौन साहब देखेंगे। अंत में तिवारी जी का नाम आया। वो देर में आए फिर साजिद, अकरम, अक्का और चक्का के खिलाफ मौखिक शिकायत ली और तैयब को मेडिकल के लिए अस्पताल भिजवाया जहां डॉक्टर नहीं मिला तो कंपाउंडर ने टिंचर-पट्टी कर उसे वापस भेज दिया। कार्यक्रम अब तक निपट चुका था। वो घर पहुंचा और रातभर सोचता रहा। दूसरे दिन वो फिर थाने जा पहुंचा। दो-चार जमात के फुकटिये लोग भी थे। थानेदार देर में आए। थोड़ी देर यहां-वहां फिरते रहे फिर कुर्सी सम्हाली। अब कार्रवाई कब करेंगे जनाब? देखिए इस मामले में मैं क्या कार्रवाई कर सकता हूं? अरे, ऐसा क्या, मारपीट हुई है, चाकू चला है। अरे भाई चाकू चला, कितना खून निकला, निकला भी या नहीं, जख्म लगा है या नहीं। चोट है भी या नहीं। तुमने मेडिकल भी कहां करवाया। एफआईआर कहां हुई है? अब तैयब भड़क गया। अरे आप ने एफआईआर नहीं लिखी, वहां डॉक्टर नहीं मिला। इससे क्या मतलब-तिवारी बोले। मतलब आप कार्रवाई नहीं करेंगे? अरे प्रकरण बनता ही नहीं। हें..आप जानते हैं मैं जमात प्रमुख का बेटा हूं, हम बड़े ऑफिसर तक जाएंगे। तो जाओ..कार्रवाई तो हमें ही करनी है न..जाओ। एक ने बात सम्हाली- अरे नाराज न होइये जनाब, कुछ तो कार्रवाई होती होगी। रोज थाने आओ देखेंगे मसला। अब जाओ...तोंद सम्हालते तिवारी उठे और निकल गए।
दर्द से दो-चार होता तैयब वापस लौटा। अरे ये पैसे खा गया होगा। नामुराद। मर जाएगा हराम की औलाद। अरे ये तो ठेलेवालों से भी वसूली करता है। हरामजादा। लोग बातें कर रहे थे।
तैयब घर पहुंचा अलीक पास आए। बेटा तिवारी जी का फोन आया था। तुझे जमात से टिकट मिल सकता है। लोगों का पहले तो जुड़ाव ही था अब हमदर्दी भी साथ है। तैयब ना कुछ बोल पाया ना ही सोचने में ही रहा। खामोशी से अंदर चला गया।

रविवार, 18 मार्च 2018

अथ गब्बर कथा : ठंडी होली के गर्म शोले

होली के रंगों में गब्बर की दहशत का रंग अब न के बराबर था। होली का दिन छुट्टी का होता है इसलिए गब्बर ने पूरे दिन आराम किया। उसके दूसरे दिन भी आराम किया और फिर पंचमी तक चिंतन किया कि अब क्या किया जाए?
वो चट्टान पर बैठकर उन कांच के टुकड़ों को देख रहा था जिस पर बसंती के नर्म पांव कुत्तों के सामने नाचे थे। इतने में सांभा वहां आ गया- जय मां काली सरदार। जय मां काली कराली, सांभा। सांभा.. जी सरदार.. एक बात तो बता...क्या सरदार? अब रामगढ़ में होली कैसे मनती है? बहुत दिन हो गए हमने होली के रंग में भंग नहीं डाला। सरदार...वीरू और बसंती ने होली में मस्ती की और उसका वीडियो रामगढ़ एप पर जारी हो गया है। घायल टांगों से बसंती कूदकूद कर नाची और ठाकुर के कटे हाथों से रंग लगवाया। गब्बर की छाती पर नागिन फिरने लगी।
ठाकुर की बहू के मंदिर के दरवाजे पर खड़ी होकर जय के भूत को होली खेलते देखती रही और सोचती रही कि अगर उसने रंग खेला तो लोग क्या कहेंगे? काकी को रंग लगाने के लिए चाचा जा ही रहे थे सन्नाटा पसरा देखकर कन्फ्यूज हो गए और अपने गधे को ही रंग लगाकर घर में वापस चले गए। पर सरदार एक बात तो है। क्या सांभा? सरदार इस बार होली के रंग में बेरंग में रंगी रंगत थी। मतलब। सरदार ठाकुर की पार्टी ने हाथ बढ़ाते हुए त्रिपुरा को जीत लिया पर उत्तरप्रदेश के अपने ही गढ़ में हार गई। बहुत बुरी बात है सांभा। रुक जा ठाकुर को होली ह-राम करता हूं।
गब्बर ने फोन लगाया। ठाकुर ने तुरंत फोन उठा लिया। जाग गया होली का योगी! जी। हां, उसी पर चर्चा हो रही है तुम कौन? तेरा बाप। जी लोधीजी, त्रिपुरा तो हमने जीत ही लिया है बस योग ही नहीं बैठा वर्ना उत्तरप्रदेश हमारा तो था ही। उत्तरप्रदेश का उत्तर देशभर का होगा ठाकुर...। कौन बोल रहा है? गब्बर..स्पीकिंग। गब्बर हाथी की सायकल पर भरोसे का पंजा मत रखना क्योंकि हाथी मदमस्त है और सायकल को तो मुलायम हाथों ने पंचर कर ही दिया था। कुछ (अखि) लेष भी नहीं बचा। गब्बर याद रख कभी मुलायम ने कठोर होकर माया को समाप्त करने की ठान ली थी। देखो हाथी कब तक सायकल की सवारी करता है। खैर, जाने दो ठाकुर धन्नों टांग...ठाकुर... बसंती को रंग लगाकर तूने अपना योग ही बिगाड़ लिया है। गब्बर...ये (अमित) शाही योग है सबको नहीं मिलते। फोन कट गया। गब्बर ने फोन को देखा। गब्बर परेशान को देखकर सांभा पास आया- लो सरदार...रामगढ़ की होली में नाच-गाने का वायरल वीडियो देखो। गब्बर ने देखा- ठाकुर कटे हाथों से बसंती को रंग लगा रहा था। वीरू और सभी लोग झूम रहे थे। इसके बाद वीरू-बसंती की होली हुई।
दोनों ने गाना भी गाया-अरे एलओयू ले लो, अरे रंग न खेलो, अरे ठहर जा जोगी, अब जीत कब होगी, अरे ओ हाथी सायकल के साथी, चल हट गंजे, मौके की ताक में पंजे, टूटे गठबंधन, भीगे हैं तनमन, चली जनमत की गोली, होली रे होली। सायकल को हाथी मिल जाते हैं, दुश्मन भी साथी बन जाते हैं। मोदी जैसा कहीं से मैं भी एलओयू जुगाड़ लूं, झंडे अपने भी यहां कुछ थोड़े मैं गाड़ लूं। जा रे जा मस्ताने तू...जोगी के बहाने तू सायकल पे हाथी न बिठा। सुन रे गोरियों की रति तू, हारों की मायावती तू, ऐसे ही सत्ता पाई जाती है। ...... सायकल को .... गब्बर ने वीडियो देखा और चिल्लाया- अब होली कब है?

गुरुवार, 15 मार्च 2018

मदिरा पर वार्ता

शराब को पीकर लोग जीते हैं, लोगों को पीकर शराब जीती है। शराब को खराब कहकर इससे घृणा की जाती है। ये मानवता की दुश्मन तक मानी जाती है। प्राचीन समय से ही मदिरा का नाम देकर इसको प्रताडि़त किया गया। पर जब ये देवताओं के हाथ में गई तो इसे सोमरस कहकर सम्मानित किया गया। आज भी धनिक वर्ग शराब को फलों का रस कहकर पी जाता है और गरीब की मदिरा को बुरा-भला कहा जाता है। मदिरा पूछती है ऐसा द्विमुखी व्यवहार किस लिए?
महुआ-ताड़ी पर सरकारें प्रतिबंध लगा देती हैं पर विदेशी मदिरा को बाकायदा दुकान पर बेचा जाता है। मदिरा इस व्यवहार से दु:खी है। प्रो. मदिरा प्रसाद कहती हैं कि ये व्यवहार ही विषैली मदिरा यानी जहरीली शराब बनाने के लिए जिम्मेदार है। आप लोग शराब महंगी बेचते हैं उनको फायदा पहुंचाने के लिए जो सफेद में खेद-कर्म करते हैं। शराब-शराब में भेद - कर्म करते हैं। शराब महंगी जब मदिरार्थी, जी हां, जो मदिरा से अर्थ भेद रखें उनके लिए नया शब्द बनाया है प्रो. मदिरा प्रसाद ने। खैर, महंगी शराब जब मदिरार्थी को मिलती है तो वो सस्ती मदिरा के विक्रय केंद्रों की खोज प्रारंभ करता है जब उसे पता चलता है ऐसी मदिरा है ही नहीं तो वो अवैधानिक रूप से बनने वाली सस्ती मदिरा का सेवन करता है। अवैधानिक रूप से बननी वाली मदिरा, विभिन्न प्रकार के रसायनों का सम्मिश्रण होती है। ये रसायन बहुधा घातक होते हैं, जिनसे मदिरा का सेवन करने वाला आत्मा की गति को प्राप्त करता है यानी मर जाता है।
प्रो. मदिरा कांत कहते हैं कि अवैधानिक शराब बनने का कारण प्राचीन समय से बनने वाली मदिराओं पर प्रतिबंध लगना है। सत्तासंपन्न व्यक्ति विधि की आड़ लेकर धनिक मदिरा विक्रय करने वालों को लाभ पहुंचाने की दृष्टि से छोटे मदिरा बनाने वालों पर प्रतिबंध लगाते हैं। यही प्रतिबंध अवैध और विषाक्त मदिरा बनाने के लिए उत्तरदायी है। चर्चा-परचर्चा और मदिरा पर सुचर्चा पर श्रृंगारी रसिक मदिरादेव कहते हैं कि सुंदरी के नयनों से जो मदिरा की प्राप्ति होती है वो सर्वश्रेष्ठ है। इस मदिरा से किसी प्रकार की कोई हानि होने की संभावना नहीं रहती है। आप बस नयनों में नयन डालिये और रसानंद लीजिए।
एक पीडि़त मदिर स्वामी ने तर्क किया- मदिरादेव की बात मिथ्या है। मैंने एक सुलक्षणा कन्या के नेत्रों में अपने नेत्रों को घुसेड़ दिया। इस पर कन्या ने अपने मित्रों और अन्य जनों को शिकायत कर दी कि उक्त व्यक्ति मुझे तीष्ण दृष्टि से देख रहा है। बस, होना क्या था? सभी जनों ने मिलकर उसको शारीरिक रूप से पीडि़त कर डाला। वो तो नेत्रों से रूप मदिरा का ही पान कर रहा था। इस बात पर हम चलते हैं मदिरा के वात्स्यायन मदिरा शास्त्री के पास। मदिरा शास्त्री ने नाम लिखे जाने की शर्त पर बताया कि मदिरा भी वर्ण और आर्थिक व्यवस्थाओं से प्रेरित है। धनिक की मदिरा सर्वदा सोमरस कहकर पूजनीय हो जाती है वहीं निर्धन की मदिरा हेय कहलाती है। नगरवधुओं के सौंदर्य मंदिर के बाद मदिरालय एक ऐसा स्थान है जहां मानव स्वयं में स्थित हो जाता है। वो सांसारिक छल से दूर हो जाता है और सभी में समान हो जाता है। सत्ता जिस भांति से निर्धन का दमन करती है पर श्रम उन्हीं से क्रय करती है उसी भांति से निम्र मदिरा को प्रतिबंधित तो करती है पर चौर्य कर्म करते हुए उसे पीछे से विक्रय करती है। ये मानव का स्वभाव है।
मदिरा को वर्जित बताने वाले लोगों को आड़े हाथों लेते हुए वामाचरी बाबा वामदेव वामी कहते हैं कि जब तक मदिरा है तब तक संसार में व्यवस्था है। अपना अधिकार मांगने वाले मदिरा पीकर संतुष्ट हो जाते हैं और स्वप्रों में स्वर्गिक आनंदों का सेवन करते हैं। जिस दिन उन्होंने मदिरा को त्याग दिया वो अपने अधिकारों के लिए जागृत हो जाएंगे और युद्ध शुरू हो जाएगा। वामदेव वामी स्वयं मदिरा का पान करते हंै और अन्य लोगों को भी ऐसी ही दीक्षा देते हैं। धर्मसेवी नहीं मद्यसेवित बनों। वो मदिरा के आर्थिक लाभ भी बताते हैं। यदि मदिरा घातक है तो प्रतिबंध लगा दो। क्यों इस पर कर लगाकर राज्यकोषालय भरते हो। गरीब जो सस्ती मदिरा बनाते हैं उनको मदिरा बनाने से रोक कर उनकी निर्बल आर्थिक स्थिति को और अधिक निर्बल भी किया जाता है। फिर कहा जाता है कि गरीबी हटाओ। ये पाप नहीं महापाप है। मदिरा प्रेम मार्ग में नष्ट हो चुके लोगों को भी शांति प्रदान करती है। ऐसा भी बीच में बताया गया। एक दार्शनिक ने नाम न देने की शर्त पर कहा कि मदिरा धनिक के लिए शौक निर्धन की मजबूरी है।
मदिरालय में वार्तालाप करने के मध्य में शराबुद्दीन शराबी भी मिले जिन्होंने मुझे शराब का विज्ञान समझते हुए बताया कि शराबियों को नशा करवाने के तीन बाब होते हैं। जब तक ये न हो शराब असर ही नहीं करती, पहले शराब, फिर कबाब अंत में शबाब। नशा नाश नहीं, नशा तो चाहत है राहत है। उन्होंने मुझसे धन मांगा ताकि वो तीनों का सेवन कर सकें क्योंकि वो शराब के अलावा अन्य का सेवन करने में धन के रूप से समर्थ नहीं थे। अब मौका जानकर मैं वहां से भाग निकला। पीछे से उनकी आवाज आई- कहां जा रहा है तू ए जाने वाले, अंधेरा है पय का पयाला तो पी ले। भागते-भागते लेखक ने हलकी सी नजर से मदिरा को देखा वो सुबक रही थी।

सोमवार, 12 मार्च 2018

मौत से मुकाबला8: आसानी नहीं है खेल

हलो मित्रों मेरा नाम एज है, बाल्टिक देशों के एक छोटे से क्षेत्र का रहवासी। अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए मैंने समुद्र की ओर रुख किया। मैंने सोचा था कि ग्लोब का राजा समुद्र मेरी झोली को अमूल्य रत्नों से भर देगा पर ऐसा न हो पाया और इस समुद्र ने मेरा सामना ऐसी स्थितियों से करवाया कि मुझे आशीषों के बजाए शापों पर जरूर यकीन हो गया।
थॉर ने जिन मानवभक्षियों को हराया था। अब वो जहाज पर बंदी थे। इनमें 99 प्रतिशत महिलाएं थीं। हर रात कुछ महिलाएं थॉर को पेश की जाती थीं। ये मानवभक्षी अब महामानवभक्षी का भोजन बन रही थीं। नेवल को कुछ शंका थी। उसने रात को मुझे और पूरी टीम को एकांत में बुलाया। हम उसके कमरे पर पहुंचे। उसने हमें नक्शा दिखाया। ये देखो जिस द्वीप के जिस पर हमला किया गया उसके करीब ब्रिटिश कॉलोनियल क्षेत्र शुरू होता है। अगर मेरा अंदाजा सही है तो वे लोग जिनका सोना लूटा गया इसी क्षेत्र से आते होंगे और अगर ये सही है तो थॉर का अंत हो गया समझो। इसके साथ इससे जुड़े सभी लोग खत्म हो गए समझो। किसी भी तरह हमें जल्द से जल्द ये जहाज छोडऩा होगा। तैयारी कर लो। अगले पोर्ट पोर्ट विलियम पर हम उतर जाएंगे।
हमने तैयारी शुरू कर दी। दो दिन बाद हम पोर्ट विलियम पहुंच गए और सामान उतार लिया। हमको अंदाजा नहीं था पर थॉर ने हमारा खर्चा माफ कर दिया और हमको थोड़े पैसे दिए। नेवल ने जल्द दूसरा जहाज किया और हम उस पर जा चढ़े। जहाज वहां से शाम को ही निकल गया। ये जहाज बेहद छोटा था। इसका मालिक बिनल्लाह विचित्र किस्म का इंसान था और नेवल ने हम से कहा था कि उससे दूर रहे। बिनल्लाह के जहाज पर सिर्फ हम ही एक व्यापारी थे। वो भी मजबूरी के मारे। पोर्ट को पार करने के बाद अब अगला पड़ाव हमारी मंजिल था। नेवल ने पोर्ट से ही पीने का पानी ले लिया था क्योंकि बिनल्लाह पानी बेहद महंगा दे रहा था। बिनल्लाह बेहद कंजूस, सनकी और बदमिजाज इंसान था। खैर, अगला पोर्ट पोर्ट मोजाम्बिक था। यहां हमने सामान संबंधित के सुपुर्द किया। यहां हमको पता चला कि हमारे वहां से निकलते ही थॉर के जहाज पर ब्रिटिश नेवल ऑफिसर ने धावा बोला और सभी लोगों को बंदी बना लिया। सोने को जब्त कर लिया और थॉर को बंदी बनाकर लंदन भेज दिया। इसके साथ ही उस जहाज पर लदे सामान और व्यापारियों को भी लंदन भेज दिया। यहां इन भी केस चलना था। मोजाम्बिक से हम आगे बढ़ते उससे पहले ही पोर्ट पर हमको एक हब्शी मिला जिसका नाम था- वॉम्बे। वॉम्बे ने नेवल से कहा कि उसे तीन मजदूरों की जरूरत है। नेवल ने मुझे, जोनाथन और एडम को उसके साथ भेज दिया। मैं और जोनाथन को भेजना मेरी समझ के बाहर था। हम दोनों शारीरिक रूप से बहुत मजबूत नहीं थे।
खैर, हम वहां पहुंचे। वॉम्बे हमको एक लकड़ी से बने मकान में ले गया और कहा कि घुटने के बल बैठ जाएं। उसने हमसे कहा कि वो हमको गुलाम बनाकर बेचेगा। जोनाथन और मैं घबरा गए। तभी अंदर से एक हब्शी औरत निकली। वॉम्बे ने उसे बुरी तरह डांटा और कहा कि वो बाहर जा रहा है खरीददारों को लेने के लिए वो हम पर नजर रखे। जब वो चला गया तो एडम ने हब्शी लड़की से कहा कि वो क्यों ऐसे आदमी के साथ है जो उसकी, उसकी बेपनाह खूबसूरती और उफनती जवानी की कद्र ही नहीं करता। हब्शी औरत ने पूछा- क्या वो जानता है कि उसकी इच्छा क्या है? एडम ने उससे कहा कि उसके चेहरे की उदासी सब बयां कर रही है। उसके जिस्म को एक जिस्म और रूह को मोहब्बत की जरूरत है। उसका भरापूरा रसदार बदन, उफनती जवानी तो ज्यूस की नियत को भी खराब कर देगी। ज्यूस भी उससे संभोग करने को तरसेगा। वो औरत मुस्कुराई और इशारा करके एडम को अंदर कमरे की ओर बुलाया और अंदर चली गई। जाते-जाते मुझको और जोनाथन को धमकी दे गई कि हिले तो चूहों को खिला देगी।
जोनाथन की और कुछ-कुछ मेरी भी इच्छा थी कि हम अंदर देखें कि हो क्या रहा है? कुछ देर में एडम अंदर से बाहर आया और बोला- भागो। मैंने वहां से भागते-भागते सुंदर पत्थरों से तराशा एक कटोरा और जोनाथन ने एक बेशकीमती छड़ी ले ली। हम भागते-भागते किनारे की रेत पर आकर चलने लगे। अंदर क्या हुआ? जोनाथन ने पूछा इस पर एडम ने बड़े गुस्से से उसका मुंह देखा। हम नेवल के पास पहुंचे और उसे सारी बात बताई। एडम उस लड़की की बेशकीमती अंगूठी चुरा लाया था। हमने ये माल नेवल को दे दिया। मेरे महान वाइकिंग लुटेरे- नेवल खुश हुआ। और वहां से हम कुछ ही क्षणों में समुद्र में उतर गए। हमने नेवल का सारी घटना बताई तो उसने इसे ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया। हम क्या कर सकते थे? पर अब हम ज्यादा सावधान हो गए। नेवल इंडिया आना चाहता था पर इस देश में अशांति का माहौल था। पागल पुर्तगाली, मतलबी डच, मूर्ख फ्रेंच और लालुपनीच ब्रिटिश इस देश को लूटने के लिए डॉगवॉर में लगे थे। नेवल ने असुरक्षा जानकर वहां से पीछे हटने में भलाई समझी और हम वापस हो लिए। हम लौट आए। ये खुशी की बात थी कि ये यात्रा काफी तेजी से पूरी हो गई। हम सभी को पैसे मिले और मैं फिर गांव गया। परिवार से मिला। सभी भावुक हो गए। मैं वहां कुछ दिन रुका और फिर से वापस लौट आया पर मैं यह नहीं जानता था कि अब कुछ ऐसा हो जाएगा कि वापस गांवजाने में मैं इतना सहज नहीं रह पाऊंगा।

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