सोमवार, 12 मार्च 2018

मौत से मुकाबला8: आसानी नहीं है खेल

हलो मित्रों मेरा नाम एज है, बाल्टिक देशों के एक छोटे से क्षेत्र का रहवासी। अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए मैंने समुद्र की ओर रुख किया। मैंने सोचा था कि ग्लोब का राजा समुद्र मेरी झोली को अमूल्य रत्नों से भर देगा पर ऐसा न हो पाया और इस समुद्र ने मेरा सामना ऐसी स्थितियों से करवाया कि मुझे आशीषों के बजाए शापों पर जरूर यकीन हो गया।
थॉर ने जिन मानवभक्षियों को हराया था। अब वो जहाज पर बंदी थे। इनमें 99 प्रतिशत महिलाएं थीं। हर रात कुछ महिलाएं थॉर को पेश की जाती थीं। ये मानवभक्षी अब महामानवभक्षी का भोजन बन रही थीं। नेवल को कुछ शंका थी। उसने रात को मुझे और पूरी टीम को एकांत में बुलाया। हम उसके कमरे पर पहुंचे। उसने हमें नक्शा दिखाया। ये देखो जिस द्वीप के जिस पर हमला किया गया उसके करीब ब्रिटिश कॉलोनियल क्षेत्र शुरू होता है। अगर मेरा अंदाजा सही है तो वे लोग जिनका सोना लूटा गया इसी क्षेत्र से आते होंगे और अगर ये सही है तो थॉर का अंत हो गया समझो। इसके साथ इससे जुड़े सभी लोग खत्म हो गए समझो। किसी भी तरह हमें जल्द से जल्द ये जहाज छोडऩा होगा। तैयारी कर लो। अगले पोर्ट पोर्ट विलियम पर हम उतर जाएंगे।
हमने तैयारी शुरू कर दी। दो दिन बाद हम पोर्ट विलियम पहुंच गए और सामान उतार लिया। हमको अंदाजा नहीं था पर थॉर ने हमारा खर्चा माफ कर दिया और हमको थोड़े पैसे दिए। नेवल ने जल्द दूसरा जहाज किया और हम उस पर जा चढ़े। जहाज वहां से शाम को ही निकल गया। ये जहाज बेहद छोटा था। इसका मालिक बिनल्लाह विचित्र किस्म का इंसान था और नेवल ने हम से कहा था कि उससे दूर रहे। बिनल्लाह के जहाज पर सिर्फ हम ही एक व्यापारी थे। वो भी मजबूरी के मारे। पोर्ट को पार करने के बाद अब अगला पड़ाव हमारी मंजिल था। नेवल ने पोर्ट से ही पीने का पानी ले लिया था क्योंकि बिनल्लाह पानी बेहद महंगा दे रहा था। बिनल्लाह बेहद कंजूस, सनकी और बदमिजाज इंसान था। खैर, अगला पोर्ट पोर्ट मोजाम्बिक था। यहां हमने सामान संबंधित के सुपुर्द किया। यहां हमको पता चला कि हमारे वहां से निकलते ही थॉर के जहाज पर ब्रिटिश नेवल ऑफिसर ने धावा बोला और सभी लोगों को बंदी बना लिया। सोने को जब्त कर लिया और थॉर को बंदी बनाकर लंदन भेज दिया। इसके साथ ही उस जहाज पर लदे सामान और व्यापारियों को भी लंदन भेज दिया। यहां इन भी केस चलना था। मोजाम्बिक से हम आगे बढ़ते उससे पहले ही पोर्ट पर हमको एक हब्शी मिला जिसका नाम था- वॉम्बे। वॉम्बे ने नेवल से कहा कि उसे तीन मजदूरों की जरूरत है। नेवल ने मुझे, जोनाथन और एडम को उसके साथ भेज दिया। मैं और जोनाथन को भेजना मेरी समझ के बाहर था। हम दोनों शारीरिक रूप से बहुत मजबूत नहीं थे।
खैर, हम वहां पहुंचे। वॉम्बे हमको एक लकड़ी से बने मकान में ले गया और कहा कि घुटने के बल बैठ जाएं। उसने हमसे कहा कि वो हमको गुलाम बनाकर बेचेगा। जोनाथन और मैं घबरा गए। तभी अंदर से एक हब्शी औरत निकली। वॉम्बे ने उसे बुरी तरह डांटा और कहा कि वो बाहर जा रहा है खरीददारों को लेने के लिए वो हम पर नजर रखे। जब वो चला गया तो एडम ने हब्शी लड़की से कहा कि वो क्यों ऐसे आदमी के साथ है जो उसकी, उसकी बेपनाह खूबसूरती और उफनती जवानी की कद्र ही नहीं करता। हब्शी औरत ने पूछा- क्या वो जानता है कि उसकी इच्छा क्या है? एडम ने उससे कहा कि उसके चेहरे की उदासी सब बयां कर रही है। उसके जिस्म को एक जिस्म और रूह को मोहब्बत की जरूरत है। उसका भरापूरा रसदार बदन, उफनती जवानी तो ज्यूस की नियत को भी खराब कर देगी। ज्यूस भी उससे संभोग करने को तरसेगा। वो औरत मुस्कुराई और इशारा करके एडम को अंदर कमरे की ओर बुलाया और अंदर चली गई। जाते-जाते मुझको और जोनाथन को धमकी दे गई कि हिले तो चूहों को खिला देगी।
जोनाथन की और कुछ-कुछ मेरी भी इच्छा थी कि हम अंदर देखें कि हो क्या रहा है? कुछ देर में एडम अंदर से बाहर आया और बोला- भागो। मैंने वहां से भागते-भागते सुंदर पत्थरों से तराशा एक कटोरा और जोनाथन ने एक बेशकीमती छड़ी ले ली। हम भागते-भागते किनारे की रेत पर आकर चलने लगे। अंदर क्या हुआ? जोनाथन ने पूछा इस पर एडम ने बड़े गुस्से से उसका मुंह देखा। हम नेवल के पास पहुंचे और उसे सारी बात बताई। एडम उस लड़की की बेशकीमती अंगूठी चुरा लाया था। हमने ये माल नेवल को दे दिया। मेरे महान वाइकिंग लुटेरे- नेवल खुश हुआ। और वहां से हम कुछ ही क्षणों में समुद्र में उतर गए। हमने नेवल का सारी घटना बताई तो उसने इसे ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया। हम क्या कर सकते थे? पर अब हम ज्यादा सावधान हो गए। नेवल इंडिया आना चाहता था पर इस देश में अशांति का माहौल था। पागल पुर्तगाली, मतलबी डच, मूर्ख फ्रेंच और लालुपनीच ब्रिटिश इस देश को लूटने के लिए डॉगवॉर में लगे थे। नेवल ने असुरक्षा जानकर वहां से पीछे हटने में भलाई समझी और हम वापस हो लिए। हम लौट आए। ये खुशी की बात थी कि ये यात्रा काफी तेजी से पूरी हो गई। हम सभी को पैसे मिले और मैं फिर गांव गया। परिवार से मिला। सभी भावुक हो गए। मैं वहां कुछ दिन रुका और फिर से वापस लौट आया पर मैं यह नहीं जानता था कि अब कुछ ऐसा हो जाएगा कि वापस गांवजाने में मैं इतना सहज नहीं रह पाऊंगा।

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