रविवार, 18 मार्च 2018

अथ गब्बर कथा : ठंडी होली के गर्म शोले

होली के रंगों में गब्बर की दहशत का रंग अब न के बराबर था। होली का दिन छुट्टी का होता है इसलिए गब्बर ने पूरे दिन आराम किया। उसके दूसरे दिन भी आराम किया और फिर पंचमी तक चिंतन किया कि अब क्या किया जाए?
वो चट्टान पर बैठकर उन कांच के टुकड़ों को देख रहा था जिस पर बसंती के नर्म पांव कुत्तों के सामने नाचे थे। इतने में सांभा वहां आ गया- जय मां काली सरदार। जय मां काली कराली, सांभा। सांभा.. जी सरदार.. एक बात तो बता...क्या सरदार? अब रामगढ़ में होली कैसे मनती है? बहुत दिन हो गए हमने होली के रंग में भंग नहीं डाला। सरदार...वीरू और बसंती ने होली में मस्ती की और उसका वीडियो रामगढ़ एप पर जारी हो गया है। घायल टांगों से बसंती कूदकूद कर नाची और ठाकुर के कटे हाथों से रंग लगवाया। गब्बर की छाती पर नागिन फिरने लगी।
ठाकुर की बहू के मंदिर के दरवाजे पर खड़ी होकर जय के भूत को होली खेलते देखती रही और सोचती रही कि अगर उसने रंग खेला तो लोग क्या कहेंगे? काकी को रंग लगाने के लिए चाचा जा ही रहे थे सन्नाटा पसरा देखकर कन्फ्यूज हो गए और अपने गधे को ही रंग लगाकर घर में वापस चले गए। पर सरदार एक बात तो है। क्या सांभा? सरदार इस बार होली के रंग में बेरंग में रंगी रंगत थी। मतलब। सरदार ठाकुर की पार्टी ने हाथ बढ़ाते हुए त्रिपुरा को जीत लिया पर उत्तरप्रदेश के अपने ही गढ़ में हार गई। बहुत बुरी बात है सांभा। रुक जा ठाकुर को होली ह-राम करता हूं।
गब्बर ने फोन लगाया। ठाकुर ने तुरंत फोन उठा लिया। जाग गया होली का योगी! जी। हां, उसी पर चर्चा हो रही है तुम कौन? तेरा बाप। जी लोधीजी, त्रिपुरा तो हमने जीत ही लिया है बस योग ही नहीं बैठा वर्ना उत्तरप्रदेश हमारा तो था ही। उत्तरप्रदेश का उत्तर देशभर का होगा ठाकुर...। कौन बोल रहा है? गब्बर..स्पीकिंग। गब्बर हाथी की सायकल पर भरोसे का पंजा मत रखना क्योंकि हाथी मदमस्त है और सायकल को तो मुलायम हाथों ने पंचर कर ही दिया था। कुछ (अखि) लेष भी नहीं बचा। गब्बर याद रख कभी मुलायम ने कठोर होकर माया को समाप्त करने की ठान ली थी। देखो हाथी कब तक सायकल की सवारी करता है। खैर, जाने दो ठाकुर धन्नों टांग...ठाकुर... बसंती को रंग लगाकर तूने अपना योग ही बिगाड़ लिया है। गब्बर...ये (अमित) शाही योग है सबको नहीं मिलते। फोन कट गया। गब्बर ने फोन को देखा। गब्बर परेशान को देखकर सांभा पास आया- लो सरदार...रामगढ़ की होली में नाच-गाने का वायरल वीडियो देखो। गब्बर ने देखा- ठाकुर कटे हाथों से बसंती को रंग लगा रहा था। वीरू और सभी लोग झूम रहे थे। इसके बाद वीरू-बसंती की होली हुई।
दोनों ने गाना भी गाया-अरे एलओयू ले लो, अरे रंग न खेलो, अरे ठहर जा जोगी, अब जीत कब होगी, अरे ओ हाथी सायकल के साथी, चल हट गंजे, मौके की ताक में पंजे, टूटे गठबंधन, भीगे हैं तनमन, चली जनमत की गोली, होली रे होली। सायकल को हाथी मिल जाते हैं, दुश्मन भी साथी बन जाते हैं। मोदी जैसा कहीं से मैं भी एलओयू जुगाड़ लूं, झंडे अपने भी यहां कुछ थोड़े मैं गाड़ लूं। जा रे जा मस्ताने तू...जोगी के बहाने तू सायकल पे हाथी न बिठा। सुन रे गोरियों की रति तू, हारों की मायावती तू, ऐसे ही सत्ता पाई जाती है। ...... सायकल को .... गब्बर ने वीडियो देखा और चिल्लाया- अब होली कब है?

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