गुरुवार, 7 जून 2018
एक अधूरी मोहब्बत की पहली निशानी
कार जा ही रही थी कि सामने पत्थरों को देखकर ड्राइवर ने कार को रोका और बाहर निकला। वो पत्थर को उठाने के लिए झुका ही था कि उसके सिर पर जोरदार टॉमी का आघात हुआ और वो अचेत हो गया। इसके बाद किसी ने उसे उठाया और वहीं सड़क पर लेटा दिया। सड़क पर अंधेरा था। तभी एक ट्रक बेतहाशा तेजी से आया और..... टॉमी मारने वाले ने नजारा देखा और वहां से चला गया। दूसरे दिन सड़क पर कार ड्राइवर जावेद की लाश पड़ी थी। उसे ट्रक ने टक्कर मार दी थी और लाश कुचल चुकी थी।
अब आप ये सोच रहे होंगे कि मामला क्या है? क्यों इसको इतनी बुरी मौत मारा गया। ये हत्या थी पर मामला दुर्घटना का बना। मामला समझने के लिए हमको कुछ वक्त पीछे जाना होगा। ज्यादा नहीं पांच साल पहले। चच्ची के कूचे में एक घर था नूर का। इसी के घर के सामने था नबीर की चाची का मकान। नूर अपने मां-बाप की एक लौती बेटी थी। इससे बड़ा एक भाई था ममनून। इसके बाद कोशिशें तो बहुत हुई पर बीमारी के चलते नूर के पिता चल बसे। बची मां जो अपने सनकी भाई हमीद और बेटी नूर के साथ नबीर के घर के सामने ही रहती थी। नबीर के मां-बाप नहीं थे। वो चाची के साथ रहता था जिसका भी इस दुनिया में सिर्फ एक ही बेटा था, राशिद जिसने अपना नाम रॉकी रख लिया था। वो गोवा में बैठा था। उसका वहां पर कारोबार था। कहने को वो कारोबार था पर वो था ड्रग्स का धंधा। इसके अलावा वो अश्लील फिल्मों से भी जुड़ा था। वो वहां से पैसे भेजता था और नबीर भी यहां छोटे मोटे काम किया करता था।
नूर पर नबीर का दिल आया था। वो जब भी छज्जे पर निकलती। उसकी पायजेब छनकती वो उसे देखने किसी न किसी बहाने से बाहर आ जाता। नूर भी ये बात समझती थी वो चांदनी रातों में छज्जे पर आ खड़ी होती। जब कूचे में कोई न होता तो नबीर उसे देखकर गजल गाता- झरोखे में है आज तेरे चांद का दीदार। वो मुस्कुराती इतराती, इठलाती। बाद में वो बाहर मिलते भी थे पर निकाह से पहले तहजीब के चलते वो दूर ही रहते।
इश्क और मुश्क यानी मोहब्बत और खुश्बू छुपाए नहीं छुपते। चाची ने नूर की मां से बात की। मां ने कह दिया कि नबीर कुछ अच्छा काम करे तो बात आगे बढ़ेगी। नबीर ने बहुत कोशिश की पर कोई कमाऊ काम नहीं ढूंढ पाया। थकहार कर उसने रॉकी को फोन पर पूरी बात बताई। उसने अपने आदमी से कहा कि वो उसकी मदद करे। उन लोगों ने उसको दुबई भेज दिया। जाने से पहले नबीर नूर से कह गया कि वो कम-से-कम एक साल का तो इंतजार करे।
नबीर दुबई चला गया। वहां उसने थोड़ा काम सीखा और फिर तेजी से वहां धंधा जमाने लगा। एक साल साल से डेढ़ और फिर डेढ़ से दो साल हुए। बीच में चाची से होती बातचीत में पता चलता रहा कि नूर अभी तक इंतजार कर रही है। नबीर ने काफी पैसा इकट्ठा कर लिया। वो अब वहां एक अच्छा मकान किराये पर लेकर वापस लौटा। उसका सपना था कि वो नूर को ब्याहकर उसे वहां मलिका की तरह रखेगा। वो वापस लौटा। उसने नूर के घर में झांका तो वहां उसकी मां दिखी वो न दिखी। चाची चुप थी। वो शाम को चौराहे पर जो उसके दोस्तों से मिलने का पुराना ठिकाना था पहुंचा वहां उसे पता चला कि उसके जाते ही नूर की शादी हो गई थी। कुछ दिन पहले खबर मिली कि उसकी मौत हो गई। नबीर भड़क गया और चाची के पास पहुंचा। चाची उससे बोली- तुझे वापस बुलाती तो भी तू क्या कर लेता? उसकी मौत कैसे हुई। चाची ने उसका मुंह देखा- ये गुलशन के बच्चे का मुंह नहीं दु:खता दिनभर बोला करता है। चाची के बात बदलने को नबीर समझ गया। सही सही बताओ चाची। चाची बोली- वो रोज रात को चांदनी में खड़ी होकर तेरे चांद का दीदार गाती थी। फिर उसका निकाह हो गया तो वो अपने पति के लिए वही गीत गाती थी। उसका पति उसके लिए मोगरे का गजरा लाता था तो कभी चमेली का इत्र। वो केवड़े का पानी छिड़ककर उसका इंतजार करती। कुल मिलाकर वो खुश थी पर तभी उसे बीमारी हुई और उसका इंतेकाल हो गया। चाची की बात पर नबीर को शुब्हा होना जायज था। चाची सच बोलो, तुमको कसम है दरगाह वाले बाबा की....अब चाची डर गई। नूर की शादी हुई पर वो शादी उसके लिए जहन्नुम का दरवाजा बन गई। जावेद के पास की कॉलोनी में रहने वाली कई काफिराओं से संबंध थे। वो नूर पर जुल्म करता और उसके परिवार वाले उसका साथ देते। वो कभी दहेज की बात करते तो कभी औलाद न होने का ताना देते। आखिर में एक दिन उसके जलने की खबर आई। उसके भाई ने पुलिस में रिपोर्टकी। और पुलिस तो ....नबीर समझ गया।
नबीर ने फिर से दुबई जाने का मन बनाया और वीजा के लिए दरख्वास्त दी जो मंजूर हो गई। उसने जावेद के बारे में पता लगाया। जावेद और उसकी बहन के साथ उसके मांबाप उसके निशाने पर थे। उसने नकाब डाल उसकी बहन, जो शादीशुदा थी, के चेहरे पर तेजाब फेंक भाग निकला। और रात को जहां से जावेद जाता था उस रास्ते में सूनसान में पत्थर जमा दिये। और फिर जो हुआ आपके सामने है। दूसरे दिन पुलिस ने लाश को देखा। दबाव था इस लिए मामला दर्ज किया गया। और जब ये सब हो रहा था नबीर मुंबई के लिए रेल में चढ़ चुका था। उसे मुंबई से फ्लाइट लेनी थी। जाते-जाते उसने चाची से वो फोटो ले लिया था जो उसने ईद के दिन नूर का खींचा था इस वादे के साथ कि जब वो निकाह की रात मिलेंगे तो इस इत्तेफाक को याद करेंगे कि ये उनके प्यार की पहली निशानी था।
7 जून 2018
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कुएं का रहस्य
दोनों लापता दोस्तों का आज तक पता नहीं चला है। पर लोगों को आज भी उस सड़क पर जाने में डर लगता है। कुछ दुस्साहसियों ने वहां से गुजरने की कोशिश ...

-
दोनों लापता दोस्तों का आज तक पता नहीं चला है। पर लोगों को आज भी उस सड़क पर जाने में डर लगता है। कुछ दुस्साहसियों ने वहां से गुजरने की कोशिश ...
-
एक मजबूर लड़की अपने मालिक हब्शी के से साथ जा रही है। उसने बड़ी आशा से भरी निगाहों से तीन दोस्तों को देखा। उसकी नजर को भांपकर हब्शी ने उन ती...
-
छोटे ठाकुर....बकुला ने पीछे से आवाज दी। एक साधु ठिठककर रुका। छोटे ठाकुर..बकुला भागकर उनके पास आया। छोटे ठाकुर.. बकुला... हां...मालिक क...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें