सोमवार, 19 फ़रवरी 2018

अथ गब्बर कथा: पकौड़ा पॉलिटिक्स पर गब्बर का भ्रम और ठाकुर से संवाद


गब्बर भूखा और परेशान होकर अपनी बिग बॉस वाली चट्टान पर बैठा था। तभी उसने देखा कि जूनियर कालिया और उसके दूसरे साथी रसद लेकर आ गए हैं। उसे पुराने दिन याद आ गए। उसने खाली गोलियों के खोलों वाला बेल्ट उठाया और चिल्लाया- क्या लेकर आए हो...हां...सरदार यकीन नहीं करोगे- जूनियर कालिया बोला। यकीन, इसका क्या मतलब है हां...। सरदार इस बार रसद खूब मिली है और बात तो खास ये है कि इस बार ठाकुर ने खुद रसद दी है। कटे हुए हाथों से।
वाह, लगता है ठाकुर की हवा निकल गई...हां। पीछे से- जूनियर कालिया धीरे से बोला।
क्या भेजा है? सरदार गर्मागर्म पकौड़े भेजे हैं।
पकौड़े, इतने सालों के बाद पकौड़े वाह, बस अब कमी है तो मेहबूबा और शराब की, फि र तो जन्नत कदमों में होगी। मेहबूबा हाथों से पकौड़ खिलाएगी, जाम पिलाएगी- गब्बर ख्वाबों में खो गया।
तभी मटरगश्ती करता सांभा वहां आ गया।
क्या हुआ सरदार? आज खुश दिख रहे हो।
सांभा आज रसद मिली है, वो भी ठाकुर के कटे हुए हाथों से।
सरदार ये पकौड़े जख्मी पैरों वाली बसंती ने काकी की पीठ पर बैठकर खुद बनाए हैं। प्याज-मिर्ची ठाकुर की विधवा बहू ने काटी हैं, वीरू ने तला है और जय के भूत ने तेल सुखाया है। ठाकुर खुद भी तल रहा है और लोगों को बांट भी रहा है।
इतना सब तुझे कैसे मालूम सांभा?
सरदार बात ही कुछ ऐसी है...ठाकुर के राजनीति के बड़े मीत मित भाषी शाह ने कहा है कि पकौड़ा बनाना एक कारोबार है और ठाकुर को इसका ब्रांड एंबेसेडर बनाया है। ठाकुर इसी का प्रचार कर रहा है। ठाकुर की पार्टी भजिया जुगाड़ू पार्टी या कहो कि भूखी जनता पकौड़ा पार्टी लगातार लोगों को पकौड़े बनाने के लिए प्रोत्साहन दे रही है। शायद कुछ दिनों में सरकार लोन और अनुदान भी देगी।
वाह, सांभा बात तो है... पर रामगढ़ के पढ़े-लिखे लोग पकौड़ा कैसे बनाएंगे और यदि बनाएंगे तो ठाकुर की वसूली से कैसे बचेंगे? हां...उनका सामान वीरू जब्त कर लेगा तो? सरदार वसूली तो पता नहीं पर अपने घर के सामने ठिया लगाना होगा।
सांभा, सभी लोग पकौड़ा बनाएंगे तो लड़ाई होगी।
स्पर्धा भी होगी सरदार...।
प्रतियोगिता, इसके बाद कीमत बढ़ेगी फिर मिलावट भी होगी सांभा।
वो तो है सरदार।
रुक जा सांभा, अभी ठाकुर का पकौड़ा बनाता हूं...गब्बर ने ठाकुर को बीएसएनएल से फोन लगाया। बड़ी देर में फोन लगा और काफी देर बाद ठाकुर ने उठाया। वो कटे हाथों से पकौड़े तल रहा था और खा भी रहा था।
कितने पकौड़े हैं?
दस रुपए किलो, ऑर्डर देना है क्या?
आर्डर के बार्डर पर तेरा मर्डर ठाकुर...
मर्डर, तुम इमरान हाशमी तो नहीं बोल रहे हो...अगर हां तो किस-किस तरह के पकौड़े चाहिए।
भजिया पार्टी के पकौड़े मैं गब्बर बोल रहा हूं।
गब्बर, बर्बाद गुलिस्तां के पंजे, बाल वाले गंजे, मतकर दंगे कर ले पकौड़े के पंगे।
क्या मतलब...
सुन गब्बर तुझे भी ऑफर देता हूं.. तू भी पकौड़े की दुकान खोल ले। सारे डाकुओं के आर्डर ले और कमाई कर.. तू पढ़ा-लिखा तो है नहीं, काला अक्षर जले पकौड़े बराबर... पर पढ़े-लिखे कैसे पकौड़े बनाएंगे ठाकुर? तू अपने लोगों को पढ़ाकर बड़ा आदमी बना बाकी से पकौड़े तलवा..बहुत नाइंसाफी है।
गब्बर पकौड़ा पॉलीटिक्स का ये आगाज है...
अंजाम होगा गई तेरी सरकार....
गब्बर मेरे ऑफर पर सोचना अभी फिजूल में मेरा सर मत खा...पकौड़ा खा। ठाकुर ने कटे हाथ से फोन काट दिया। गब्बर ने पहले फोन और फिर सबका मुंह देखा फिर चिल्लाया- पकौड़े लाओ। जूनियर कालिया ने पकौड़े परोसते हुए दर्दभरी आवाज में गाया-
बात-बात में तल गया, पूरा हो गया काम
तू भी खाले खा रहे अपने डाकू तमाम...
खा रहे गब्बर- कालिया, खा रहे सांभा- हरिया
खा रहे अपने सभी, खाली हुई भरी कढ़इया
सब कह रहे हैं आ, तू चुका दे दाम, तू भी ...
क्या मस्त स्वाद है, पढ़ाना-लिखना बर्बाद है
तू सिर्फ ठिया बना, मिलना अमित की दाद है
कह रही है मेहबूबा, गम के छलका ले जाम, तू भी ...
सब ही खाएंगे इसे, गब्बर राह देखें अब
मिल गए हैं इंद्र-अमित, ढाएंगे अब ये गजब
सूझेना कोई रास्ता, गमगीन खासो-आम, तू भी ...
(ये गीत बेटा-बेटी फिल्म में गीतों के सरदार रफी ने गाया था और जूनियर कालिया ने अपने हिसाब से जमाया था।)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कुएं का रहस्य

दोनों लापता दोस्तों का आज तक पता नहीं चला है। पर लोगों को आज भी उस सड़क पर जाने में डर लगता है। कुछ दुस्साहसियों ने वहां से गुजरने की कोशिश ...