रविवार, 16 दिसंबर 2018
तुम्हारे साथ की ही हूं न....
दो हाई क्लास वेश्याएं सुबह उठीं। दोनों के बदन में तेज दर्द था। एक गई और चाय बनाकर लाई और दूसरी को दे दी।
पहली- अच्छा किया तूने चाय बना लाई। लगता है आज नहीं जा पाऊंगी। बदन दर्द कर रहा है।
दूसरी- आंटी को बोल देना। मैं भी शायद नहीं जा पाऊंगी। मेरा शरीर भी दर्द कर रहा है। पर अपन तो यहां हैं तीसरी कहां गई? रात को भी नहीं आई। इतना कितना बड़ा ग्राहक मिल गया उसको।
पहली- बातें तो वो बड़ी-बड़ी करती थी। पर नहीं जानती थी कि हमारा काम तो सिर्फ जी बहलाना भर है। ग्राहक का मन भरा और हम वापस।
दूसरी- पर फिर भी मुझे चिंता हो रही है। मैं कॉल करती हूं। (दूसरी ने कॉल किया पर वहां से किसी ने फोन नहीं उठाया।)
दूसरी- अब आंटी को फोन लगाती हूं। (उसने आंटी को फोन लगाया। दूसरी तरफ से फोन उठाया गया।)
हलो आंटी, कल रात से तीसरी वाली गायब है। पता नहीं कहां चली गई? आप देखो और खान भाई को बताओ वो पूरा मामला देखेेंगे। (दूसरी तरफ से कोई आवाज नहीं आई।)
आंटी...आंटी...
आगे बोल...
आंटी आज हमारी तबीयत ठीक नहीं है। हम काम पर नहीं जा पाएंगी। एक मिनट आंटी आपकी आवाज को क्या हो गया बदली-बदली सी लग रही है।
चुप रह....बदन दुखे या ...फट जाए धंधे पर तो तुम दोनों जाओगी ही, नाचोगी और रात भी रंगीन करोगी। और ये क्या आंटी-आंटी लगा रखा है? मैं तीसरी बोल रही हूं। आंटी का सफाया हो गया। अब से मैं तुम्हारी बॉस हूं। तैयार हो जाओ। आज का ग्राहक खुद पोलिस की सिक्यूरिटी में आएगा। मंत्री है।
दूसरी (आश्चर्य से बोली)- आंटी तो दर्द नहीं जानती थी पर तुम तो हमारे साथ की ही हो न!
फोन पर आवाज आई- तुम्हारे साथ ही ही हूं ऊमम्म्म (वो भरी आवाज में मुंह बंद कर हंसी)। मैं यहां आंटी को ठिकाने लगाकर बैठी हूं। ये मैं नहीं ये कुर्सी बोल रही है। मैं आज रात खुद डीएसपी के साथ बीजी हूं। दर्द सहा है इसीलिए कह रही हूं आज रात के लिये तैयार हो जाओ दवाई खाओ और मेकअप और ड्रेसअप कर लो। तुम्हारे साथ की न होती तो शायद कह देती आज रात रेस्ट कर लो पर तुम्हारे साथ की ही हूं न इसलिये कह रही हूं, काम पर लगो। दर्द में भी एक मजा है, ये हमारी मजबूरी है या क्या पता नहीं पर गंदा है पर धंधा है ये। (फोन कट गया।)
दूसरी ने पहली का मुंह देखा- वो हमारे साथ की ही है न...शायद दूसरी ने चाय की चुस्की लेते हुए कहा।
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