शनिवार, 7 अक्तूबर 2017

अथ गब्बर कथा : गब्बर की वापसी और जीएसटी पर ठाकुर से सम्वाद

अजय श्रीवास्तव
जिस तरह से गरीब की वॉट लगने से कोई नहीं रोक सकता उसी तरह से कोई भी जेल गब्बर को कैद नहीं कर सकती। जेल के अंदर से गब्बर वैसे ही निकल भागा जैसे रामरहीम के गिरफ्तार होने पर हनीप्रीत भाग निकली थी। भागने से पहले गब्बर ने जेल से सेटिंग कर सांभा को फोन लगा दिया था। वो साइकल पर गब्बर को रिसीव करने जा पहुंचा और गब्बर को पीछे बिठाकर वो रामगढ़ की पहाडिय़ों पर ले आया। सांभा ने साइकल पर ही बता दिया था कि रामगढ़ अब बदल गया है। ट्रेन में बसंती से मिलकर वीरू का मन बदल गया और वो वापस लौट आया। वो आज भी कुत्ते का खून पीने की नित-नई कसमें खाता है। जय को मरने के बाद मुक्ति नहीं मिली। वो भूत बनकर ठाकुर के घर के आसपास मंडराता है। वो सिर्फ ठाकुर की बहू को ही दिखाई देता है और एक छाप के सिक्के पर टॉस लगाता है कि अच्छे दिन अब कभी नहीं आएंगे। ठाकुर अब रामगढ़ का सरकारी आदमी बन गया है और वीरू उसका दाहिना पैर। हाथ तो आज भी कटे हुए हैं। वो दोनों रामगढ़ में राजनीति करते हैं और सरकारी माल की अफरा-तफरी करके अपना-अपना घर भरते हैं। उसकी बहू के अरमान अभी भी जवान हैं। वो सोचती है कि अगर ठाकुर किसी तरह से मान जाए तो वो जय के भूत के साथ जोड़ी बना ले। इसके बाद वो फिर से होली खेलेगी और जब ठाकुर होली की सैर पर निकलेगा तो वो फिर से टांगे के पीछे दौड़ेगी और रसियाओं की भंग में रंग डालकर रंग में भंग कर देगी। बसंती के पैर आज भी घायल हैं पर पेट की खातिर वो धन्नो का टांगा तो हांक ही लेती है। उसकी मौसी आज भी वैसी है जैसी पहले थी। वो सोचती है कि बसंंती के पांव चंगे हो जाएं तो वीरू से उसके फेरे पड़वा दें। बसंती ने वीरू के लिवइन के ऑफर को नकार दिया और अभी वो चाची के साथ ही लिव इन में रह रही है। गब्बर की छाती पर राहुल गांधी के भाषण लोटने लगे। अब्दुल चाचा का एक भतीजा और उनके पास आकर रहने लगा है। चाचा का कहना है अपनी कंपनी में मौत तक प्रोडक्शन चालू रहता है मारो कितने मारने हैं हम दो हमारे दस है दस के सौ। उनके घर में अब सन्नाटा नहीं है। चाचा का भतीजा भी राजनीति करता है और अल्पसंख्यकों में सर्वेसर्वा है। चाचा के अरमान आज भी जवान हैं वो चाहते हैं कि अगर बसंती की चाची राजी हो जाए तो वो भी खानाआबादी (बहुतकुछ बर्बादी) कर डालें। हालत खराब है तो बस गब्बर की डाकू गैंग की। डाकूगीरी में कैरियर और ब्राइट फ्यूचर न पाकर नए डाकू आए नहीं और पुराने पेंशन की मांग को लेकर हड़ताल पर हैं रहे तो जूनियर कालिया और पांच-सात जिनको कहीं जगह नहीं मिली। रामगढ़ पहुंचकर गब्बर अपनी चट्टान पर जा चढ़ा। सांभा डाकुओं को बुलाने चला गया ताकि गब्बर से सभी मिल लें। पुराने रो लें और नए (अगर हैं तो ) से उसका इंट्रोडकशन करवा दिया जाए ताकि वो उसे पहचानें और याद रखें। चट्टान पर बैठा गब्बर परेशान था तभी सांभा वहां आ पहुंचा और उसकी परेशानी और बढ़ा दी। सरदार, एक बुरी खबर है। सुना दे.....। सरदार ठाकुर ने रामगढ़ में जीएसटी लगा दिया है और अब हमको रसद जो पहले ही कम थी, वो भी नहीं मिल रही है। जीएसटी बोले तो.....गब्बर मुन्ना स्टाइल में बोला। जीएसटी बोले तो भाई गुड्स एंड सर्विस टैक्स। मतलब इसी को समझने अपने डाकू साथी मेहबूबा के डेरे पर लगी वर्कशॉप में गए हैं। वैसे सुना है कि जीएसटी से अपना धंधा बंद हो जाएगा। सांभा क्या हमको भी जीएसटी देना होगा? शायद हां सरदार। गब्बर परेशान हो गया। गब्बर थक गया था सो नहाने के बाद मध्यान्ह भोजन जैसी रोटी-सब्जी खाकर वो सो गया। शाम को उसने सांभा से कहा कि वो ठाकुर स ेउसकी फोन पर बात करवाए। सांभा ने बीएसएनएल नेटवर्क से ठाकुर को फोन मिलाया। जब गब्बर का गुस्सा खीज में बदलने लगा तब फोन लगा। दूसरी ओर ठाकुर वीरू के साथ जीएसटी पर वर्कशॉप में लोगों को जीएसटी के बारे में समझा रहा था हालांकि उसे खुद ये समझ में नहीं आ रहा था। ठाकुर ने कटे हुए हाथ से फोन उठाया- हैलो कौन हाहाहाहा.......... कौन, लोधी जी, आप हंसते रहिए मैं लोगों को समझा रहा हूं ठाकुर तेरे लोधी, के केश मेरे पंजे में हैं अरे ये कैसे हुआ? वो तो सबकुछ के शलैस करे रहे हैं। मैं गब्बर बोल रहा हूं.... गब्बर को दुनिया की कोई जेल कैद नहीं कर सकती। अरे गब्बर तुम, मैं समझा लोधी जी का फोन है। लुटेरा इब्राहिम लोधी हो या दलबदलू स्वामी......मैं इनका बाप हूं। गब्बर तुम तो कुआरे थे न, या मेहबूबा से ...... अरे खामोश......(सांभा का बैलेंस कम होने की बात समझते हुए बोला) मैंने तुझे इस लिए फोन किया है कि तुझे बता दूं मैं जीएसटी नहीं दूंगा। पहले मुझे जीएसटी समझ लेने दो फिर बात करते हैं। फोन मत रखना डूंडे ठाकुर, मैंने तुझे ये बताने के लिए फोन किया है कि मैं जीएसटी नहीं दूंगा बल्कि लूंगा। मतलब अब गब्बर वसूलेगा, जीएसटी यानी गब्बर सर्विस टैक्स। वीरू भड़क गया- कुत्ते मैं तेरा खून पी जाऊंगा। अब गब्बर लौट आया है अपने कैरियर पर लगा दाग मिटाने के लिए, गब्बर सर्विस टैक्स। सारे रूल्स एण्ड रेग्यूलेशंस तैयार करता हूं फिर भेजता हूं। तभी फोन कट गया और आवाज आई- लाइन कटने वार्तालाप बाधित हो रहा है। सुधार कार्य प्रगति पर है। खेद के लिए क्षमा, धन्यवाद। गब्बर ने आश्चर्य से मोबाइल देखा और सांभा को ढूंढने चला गया।

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