मंगलवार, 21 नवंबर 2017

मौत से मुकाबला-2: जहां जिंदगी है मौत वहीं है

एक बार तीन दोस्त सुनसान इलाके से जा रहे थे तभी उन्होंने देखा कि पास ही में एक मेला लगा है। वो तीनों मेले में जा घुसे। जगह-जगह बाजीगरों के खेल-तमाशे हो रहे थे। आदमी, औरत और बच्चे यहां-वहां जा रहे थे। तभी तीनों ने एक बेहद खूबसूरत लड़की को देखा। सफेद से लिबास में वो किसी फरिश्ते की तरह लग रही थी। तीनों सुधबुध खोकर उसके पीछे चल पड़े। वो लड़की भी उन्हें देख रही थी। न जाने ये खूबसूरत हीरा किस खान का है। उस लड़की के गले में एक क्रूस लटका था। उफ...वो इतनी खूबसूरत लग रही थी कि पेगन और यहूदी भी उस क्रूस को चूमना चाहता रहा होगा।
वो लड़की एक कैंप में घुस गई। वो तीनों भी उस कैंप में जा घुसे। अंदर एक जिप्सी बुढिय़ा एक रहस्यम टेबल पर एक कांच का ग्लोब लेकर बैठी थी। लड़की उसके पीछे जाकर खड़ी हो गई मानों कह रही हो मुझे पाना चाहते हो तो इनका सामना करो। पूरा कैंप कुछ ही उजाले से भरा था जिसमें हम एक दूसरे को पहचान भर सकते थे। यहां काफी रहस्य था।
तुम...
वो तीनों उस बुढिय़ा की बात सुनकर चौंक गए। वो समझ गई कि ये तीनों इस लड़की के इंद्रजाल में फंसे हैं।
यहां बैठो...। बुढिय़ा की बात सुनकर तीनों उसके सामने पुरानी कुर्सियों पर जा बैठे जो आश्चर्यजनक रूप से तीन ही थीं।
तुम तीनों अपना भविष्य जानना चाहते हो...बुढिय़ा ने पूछा। तीनों लड़की की आंखों में खो चुके थे। तीनों ने सिर्फ गर्दन हिलाई।
बुढिय़ा ने कुछ बुदबुदाया फिर वो चिल्लाई- सेथ..सेथ...सेथ। फिर उस बुढिय़ा का हाथ ग्लोब पर रहस्यमय ढंग से घूमा।
तुम तीनों जन्म, जीवन और मौत....जमीन, आग और पानी की सल्तनतों के गुलाम हो। तुम यही से पैदा होगे और तुम्हारा अंत भी यहीं होगा। समुद्र जहां दूर-दूर तक सिर्फ पानी है पानी जो जीवन नहीं मौत है। दुर्भाग्य के देवता की मुस्कान...वो मुस्कुरा रहा है तुम तीनों पर....नेक्टर जहर हो जाता है, दोस्त दुश्मन और फरिश्ता शैतान। तुम्हारा भरोसा उठेगा, जीवन से हर उस चीज से जिसमें चैन है। मौत से कुछ कदमों की दूरी जहां चैन नहीं आग है दोजख की आग वो जिसमें रोशनी नहीं अंधेरा है बढ़ता हुआ। एक बहुत खूबसूरत हसीना दूध की शराब लेकर सफेद बिस्तर पर तुम्हारा इंतजार कर रही है। तीन, सात, सत्रह, सत्ताई के साथ सारी विषम संख्याएं और ट्रिपल सिक्स। सावधान रहो। जिंदगी मौत से ज्यादा भयानक है।
तीनों कुछ होश में आए और उठकर जाने लगे। पैसा कौन देगा? बुढिय़ा ने टोका। तीनों मुड़े और अपने साथ लाए हुए पैसे उसे दे दिये और फिर कैंप के बाहर आकर एक दूसरे का मुंह ताकने लगे। तीनों के सपने टूट गए थे। तीनों सोच रहे थे कि किसी बदनाम कैंप में जाकर उम्दा नहीं तो मध्यम दर्जे की शराब की कुछ चुस्कियां लेंगे और एक हसी न लड़की के नाच का लुत्फ भी उठाएंगे पर सबकुछ बेकार हो गया। तभी वो हसीन लड़की कैंप से निकली और एक हब्शी उसके पास आया । पेरिस, तू यहां क्या कर रही है? यहां से हट। हब्शी ने उस लड़की को डांटा और हमारा मुंह देखा। वो हमें समझ रहा था। वो लड़की उसके साथ चली गई पर जाते-जाते उसने हम तीनों का मुंह बड़ी बेबसी से देखा। उस दोस्तों में से बड़ा तो हब्शी से लडऩे जाने लगा किसी तरह उसे बाकी दोनों ने रोका।
वो तीनों वहां से चले गए। कुछ देर बात फिर से तीनों वहां से निकले तो देखा वो जगह बिलकुल वीरान पड़ी थी जैसे वहां कभी कोई आबादी रही ही न हो। वो तीनों भौचक्के रह गए। वो विचार ही कर रहे थे कि वहां से बालक गडरिया निकला। उसने उन तीनों को अचरज में देखकर पूछ लिया- हे, क्या तुम उस शापित जिप्सियों के मेले को घूम चुके हो। हां, तीनों ने कहा। तुमने पेरिस को देखा। हां। वो बालक हंसने लगा। तुम तीनों ने जिसे देखा वो एक छलावा है। मतलब, तीनों ने आश्चर्य से पूछा। वो जिप्सियों का मेला यहां करीब छह सौ छांछट साल पहले लगा था और यहां के बदनाम बादशाह ने उसे लूट लिया था। वो लूट में सबकुछ ले गया पर न ले जा पाया तो केवल पेरिस। उसने राजा के हरम से सजने से अच्छा मौत को समझा। पेरिस को किसी ने एक हब्शी के हाथों बेच दिया था। अब वो डायन बन चुकी है। तुम ये कैसे जानते हो, तीनों ने पूछा। लड़का रहस्यमय ढंग से हंसा-क्योंकि मैं भी एक छलावा हूं। अगले ही पल वो बालक गायब हो गया।
उस मेले की कई बातें सच साबित हुई। तीनों दोस्तों में से सबसे बड़े की मौत एक दलदल में धंसने से हुई। तारीख थी तीन मार्च। सबसे छोटे की मौत समुद्र में तैरते समय एक शार्क के हमले में हुई तारीख थी सात, जुलाई। अब बचा तीसरा डरा हुआ दोस्त यानी मैं, मेरा क्या होगा?
आगे की कहानी जानने से पहले जरूरी है कि आप और मैं एक दूसरे को अच्छी तरह से जान लें। मेरा नाम एज है। बाल्टिक देश के एक गुलाम गांव का रहवासी। जिसके पिता एक सामान्य मुंशी, मां घरेलू औरत और एक छोटा भाई और बहन हैं। बाकी बातें होती रहेंगी। फिलहाल के लिए इतना ही काफी है। अभी इतना वक्त बाकी है जितने में मैं और कुछ कह सकता हूं।
जिंदगी हमें सांसे बख्शे.......आमीन......

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