शनिवार, 30 दिसंबर 2017
साहब का उपदेश
जीप से सायरन बजा, मदद
की दरकार।
आकर रुक गई थाने पर
डीएसपी की कार।।
कोई अचरज न करे
निरीक्षण है औचक।
कमरे खाली देख के साहब
हैं भौचक।।
कुछ वसूली पर हैं गए, कुछ करते आराम।
आकर दरस दे जाते हैं आरक्षक सुबहोशाम।।
लॉकअप में जंग लगे ताले देखे।
कुछ जम्भाई लेते मुखवाले देखे।।
क्या रिपोर्ट है, सनद होती देखकर तुम्हारे मुंडे।
लोग यूं ही डर जाते हैं यहां देखकर वर्दी वाले गुंडे।।
कार्रवाई नहीं और वसूली, खुले घूमते पट्टे।
यहां-वहां पर चल जाते हैं देसी-स्वदेसी कट्टे।।
कोई आसर न देखकर बोले जनाबे आली।
कमाई सदा ईमान की नहीं कभी हो काली।।
ये जानो न कभी हों अपनी पहचान के चार दिव्य आधार।
तोंद, खाकी कपड़े, मूंछे और डंडे की मार।।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कुएं का रहस्य
दोनों लापता दोस्तों का आज तक पता नहीं चला है। पर लोगों को आज भी उस सड़क पर जाने में डर लगता है। कुछ दुस्साहसियों ने वहां से गुजरने की कोशिश ...
-
आत्मा को सारे राज पता होते हैं क्योंकि बंदिशें जिस्मानी होती हैं रूहानी नहीं। सेंटीपल नाम का एक युवक नार्नियो जुंदाहो नाम के तांत्रिक के पास...
-
दोनों लापता दोस्तों का आज तक पता नहीं चला है। पर लोगों को आज भी उस सड़क पर जाने में डर लगता है। कुछ दुस्साहसियों ने वहां से गुजरने की कोशिश ...
-
(ये कहानी वर्तमान में इंदौर में घटित एक सच्ची घटना पर आधारित है। ) किसी ऑफिस में बॉस एक कहानी सुना रहे थे। काम के बोझ तले दबे कर्मचारी उ...


कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें