शुक्रवार, 29 दिसंबर 2017
डुगडुगिया का तैश
भैयाजी की लाल डुगडुगिया जब से आई गांव में शान बढ़ गई। भैयाजी कहते अरे ये कार है कार। दद्दा जब उसमें बैठते तो छाती चौड़ी हो जाती। रोजना छुट्टन लंगोटा लगाकर उसे बोरिंग से पाइप से धोते। मंझली चोरी-चोरी कहती हमको भी ऐसी गाड़ी में विदा करना। अम्मा पूजा कर एक तिलक कार पर लगाती- बुरी नजर से बचाएं कान्हा जी।
ये डुगडुगिया पूरे परिवार को हर्षित करती। एक बार एक बच्चे ने छुट्टन से पूछा जब वो कार धो रहे थे। छुट्टन भैया ये कौन सी गाड़ी है? मारूती है मारूती। इस बच्चे की बहन पर छुट्टन की नजर थी। वो सोचते एक बार कार चला लूं तो उसे कार में बिठाकर गांव-गांव घुमाऊंगा। फिर ऐसा करूंगा-ऐसा करूंगा। आहा! भैया जी आए- छुट्टन हट कार ले जाना है। छुट्टन ने जैसे-तैसे कार पोंछी। भैयाजी कार ले गए। नगर पालिका भवन में काम था। खेती की जमीन का कुछ विवाद था वो वहीं गए थे। सुबह के गए भैयाजी शाम तक न लौटे तो घर में चिंता हुई। छुट्टन यहां-वहां दौड़े पर कुछ पता न चला। अम्मा ने मन्नतों पर मन्नतें कर डालीं। रात को नौ बजे भैयाजी लौटे। पैदल-पैदल। पता चला कि पालिका भवन में किसी ने कार को ठोंक दिया। इत्ती बड़ी खरोंच आई है- भैयाजी ने हाथ का पंजा बताया। कार पांच दिन बाद मिलेगी। भैयाजी घर में चले गए। वो बच्चा यही खड़ा था। वो शरारत में बोला- डुगडुगिया ठुंक गई। डुगडुगिया.... चल भाग यहां से- छुट्टन ने चांटा दिखाया तो वो बच्चा भाग गया। दूसरे दिन गांव में बात फैल गई। लोग बहाने से आते घर में आते-जाते, मंद-मंद मुस्काते। यहां बच्चे की बहना को भैयाजी की आंखमिचौनी से पता चला कि छुट्टन उसके आशिक हैं तो वो बहाने से वहां आई,कार का मजा करने के लिए। छुट्टन दरवाजे पर कुछ कर रहे थे तभी वो आई- अम्मा हैं। अरे हैं न आ..आ..। इतने में भैयाजी अंदर से बाहर आए न जाने क्यों वो तैश में आ गए- अरे ठुंक गई डुगडुगिया तो क्या पूरा गांव जमा हो जाएगा? लड़की घबरा गई और भाग गई। छुट्टन ने दयनीय दृष्टि से भैयाजी को देखा- अरे वो तो अम्मा से मिलने आई थी। खूब पता है अम्मा से मिलने आई थी- भैयाजी वापस अंदर चले गए। अरे डुगडुगिया गई तो गई हमारी प्रेमकथा को क्या ठुंकवां रहे हो- छुट्टन धीरे से बोले। जिसे भैयाजी ने सुन लिया- क्या हुआ हें? कुछ नहीं। कहते हुए छुट्टन फिर से काम में लग गए।
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