रविवार, 9 दिसंबर 2018
आई ...हेट टीयर्स
कभी नहीं कहूंगा आई हेट टीयर्स रे, क्यों कहूं?
भावनाएं छिपाकर क्योंकर रहूं।
आप दिल में समाए हो इस तरह से
निकले मनभाव में क्योंकर न बहूं।
यादें कितनी आपने नींवों में चुनी है...
अपने आप से ये कहानी क्योंकर न कहूं।
कुछ न कहकर एक मुस्कान, एक आशीष एक दुआ, होंठों पर आपके रही...
मैं इस बात पर चुप क्योंकर रहूं।
आंखों में आंसू कुछ आ जाते हैं जाने क्यूं?
आपकी जगह दिल में हैं हम न मानें क्यूूं?
एक आंसू...कहता है बहुत कुछ...सुनती हैं आंखें...यादें बुनती हैं आंखें...
झूठ तो नहीं है पर सच भी नहीं, मैं समझने में क्योंकर उलझा रहूं।
क्यों कहूं आई हेट टीयर्स रे....
13-7-2017
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