मंगलवार, 14 अप्रैल 2020

बेसहारा.....

ईसा से 3000 साल पहले मिश्र की एक अनोखी कहानी। इस कहानी से पता चलता है कि मिश्र की सभ्यता और संस्कृति उस समय कैसी थी और लोगों का जीवन और उनके आचार-विचार कैसे थे।
जोराह और अरफा दोनों जुड़वां भाई मिश्र के एक उपनगर में रहते थे। मां थी मरियम पिता था जुराज जो मिश्र की सेना में सिपाही था युद्ध के दौरान मर चुका था। मरियम का प्रेम जुराज के छोटे भाई से था जिसका नाम था इकरा। इकरा एक नजूमी-ए-ख्वाब, स्वप्र ज्योतिष था। उसने मरियम को बता दिया था कि जुराज मारा जाएगा। जूराज का व्यवहार मरियम के लिए वाहियात था और वो उसे प्रताडि़त ही करता था। ऐसे में जब वो लड़ाई पर जाता था इकरा उसे प्यार देता और उसके जख्मों पर मल्हम लगाता। नगर के राजपर्व होने पर वो मरियम को लबादा ओढ़ाकर गधे पर बिठाकर यहां वहां घुमाता। मरियम का मासूम चेहरा गहरी आंखे। इस पर तीनों जहां और फेरोस की सारी दौलते भी कुर्बान हों। 11 आत्माएं (मिश्र के लोगों का मानना था कि इंसान के जिस्म में 11 आत्माएं होती हैं।) उसके एक बोसे से तृप्त हो जाएं और मन चाहा वर दें या फिनिक्स का तोहफा अदा कर दिया जाए तो भी मरियम को कोई समझदार इंसान नहीं छोडऩा चाहेगा।
मरियम का विवाह जूराज के साथ होना भी एक अजब संयोग था। मरियम को पैदा होते ही उसके माता-पिता ने बेटा होने की आस में उसे देवी नौहीद के मंदिर के पुरोहित को सौंप दिया। पुरोहित ने उसे पाला-पोसा। जूराज ने युद्ध में अद्वितीय साहस दिखाया था। इस पर पुरोहित ने उसका विवाह मरियम से करवा दिया या कहें तो उसे पुरस्कार के रूप में दे दिया। जूराज उसे पवित्र नहीं मानता था खैर, जूराज के मरने के बाद मरियम के पास एक ही रास्ता था कि वो नगर के हरम में चली जाए। वैसे भी ज्यादातर बेसहारा और खूबसूरत औरतों का यही ठिकाना था। देश-विदेश के लोगों का यहां आने का यह एक मुख्य कारण था। (मिश्र को विश्व की सबसे खूबसूरत वेश्याओं का नगर माना जाता था। यहां आने वाला हर एक शख्स उनके हरम में एक न एक बार जरूर जाता था। माना जाता था कि वहां की वेश्याएं संतुष्टि देने में सबसे अच्छी मानी जाती थीं। कुछ लोग तो यहां की यात्रा ही इसी कारण से करते थे जिनमें विश्वभर के अमीर लोग शामिल थे।) पर मरियम को मिला इकरा का साथ। इकरा और मरियम के रिश्ते को पाकिजदगी की वो हद मिली थी जहां जिस्म सीफर हो जाता है।
इन दिनों मरियम एक स्वप्र को लेकर परेशान थी। उसने देखा था कि फिनिक्स नील नदी पर उड़ रही है। उसके पंजों में फेरॉस और अन्न और रसों के थैले थे। इकरा ने जब यह सुना तो चिंतित हो गया। मिस्र को अपना दूध पिलाने वाली नाइल (नील नदी) अपना रास्ता बदलने वाली है। पूरा शहर उसकी धारा की ओर ही जाएगा। शहर कब्रगाह सा हो जाएगा। फेरॉस एक षड्यंत्र का शिकार होगा और कयामत आएगी। यह था इस स्वप्र का फल। पर जोराह और अरफा इस बात से खुश थे कि नगर में उत्सव होने वाला था। फेरॉस को बेटा हुआ था। नगर में उत्सव का माहौल था। जोराह और अरफा को इस बात का इल्म जरा भी नहीं था कि ये जश्र कयामत का जश्र होगा। नगर में नंदी निकलेंगे धूम मचेगी। मामथ (बालों वाला झबरा हाथी जो अब विलुप्त हो चुका है।) की खाल ओढ़कर नाच भी होगा।
फेरॉस महल के ऊंचे हिस्से बच्चे को लोगों को दिखाएगा। कीमती पत्थर और मुद्राओं की बारिश होगी। पर मरियम ने उनको पहले की कह दिया था कि नगर से बाहर न जाएं खासकर वहां जहां संगतराशी हो रही थी पिरामिडों के लिए वर्ना पता चलेगा कि उनको भी गुलाम बनाकर संगकारी में लगा देंगे। उन दोनों ने कहा कि वो वहां नहीं जाएंगे पर जब पिरामिड बनेगा वो उसे देखने जरूर जाएंगे पर वो दिन कभी नहीं आने वाला था। निश्चित दिन से एक रात पहले अचानक शहर में कोहराम मच गया। सड़कों पर घोड़े दौडऩे लगे और लोगों को पता चला कि हब्शी सेनापति हेथाडॉरस ने फेरॉस की हत्या कर दी है। राजरानी और उनका शिशु अब उसके कब्जे में हैं। अब से हेथाडॉरस ने लोगों को कहा कि वो राजधानी बदले वाला है। समुद्र की मां नील नदी मार्ग बदल रही है। फेरॉस की पत्नी अब हेथाडॉरस की हयात में शरीक थी। वो अब उससे उम्मीद से थी। एक यंत्रवत सी उसकी अपनी कोई हस्ती ही नहीं थी।
भयभीत लोगों ने शहर छोडऩा शुरू कर दिया। मरियम ने भी शहर छोड़कर नील की नई धाराओं की ओर जाने का फैसला लिया। इकरा ने मरियम को कहा कि वो नहीं जाए क्योंकि तीन दिन और तीन रात की कयामत होगी। पर वो नहीं मानी और निकल गई। उसने वादा किया कि वो व्यापारी की पत्नी अलम्मा की कनीज बनकर बगदाद जा रही है और वो उसे वहां जरूर मिलेगी। अगर वो आता है तो। उसकी इल्तेजा थी कि वो भी साथ चले। वहां उसका काम भी अच्छा चलेगा। पर इकरा नहीं गया। कारवां निकल गया पर बीच रास्ते में पर्शियन हमलावरों ने इन पर धावा बोल दिया। जोराह और अरफा भगदड़ में फंस गए अफरा तो किसी तरह उसे मिल गया पर जोराह नहीं मिला। मरियम अरफा को लेकर छिप गई। हमलावरों ने लोगों को गुलाम मनाया और सामान लेकर भाग निकले। इसके बाद रेगिस्तान की रेत में तेज बवंडर उठा और तीन दिन तक मरियम लाशों के बीच जोराह को ढूंढती रही। जोराह नहीं मिला वो गुलाम बनाकर ले जाया जा चुका था। आखिर में वो अरफा को लेकर लौट आई। इकरा मरने की कगार पर था। उसे खांसी चल रही थी। मरियम वहां पहुंची तब तक उसके हाथ में भूख-प्यास से मर चुके अरफा का मृत देह था। इकरा ने उसे देखा और आखरी मुस्कान के साथ बोला- काश तुम्हारे लबों पर लुकमान का लेह होता। शहर में वीराना था और हरम की लौंडिया भी नई धाराओं की ओर जा रही थी। मरियम ने इकरा की मृत देह को देखा और फिर अकेली निकल पड़ी। वो कहां गई किसी को पता नहीं चला बस रह गई उसकी खुशियों की कब्र और आंसुओं का मातम।

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