शनिवार, 13 जून 2020

समुद्र: धरती पर जीवन का पिता

समुद्रों का रंगनीला फ्लाइटोपेंटन नामक छोटे जीव के कारण भी दिखता है। अगर अगर एक समुद्री वनस्पति है। समुद्री लाल काई से सीरोटीन/केरोटीन नामक वनस्पति प्राप्त होती है। ये जैली बनाने तथा खाना सुरक्षित रखने वाले रसायन बनाने के काम आती है। लाल काई से अलजरिया प्राप्त होता है। ये कैंसर, डाइबिटीज, ब्लडप्रेशर, अल्सर आदि कई बीमारियों की दवा बनाने के काम आता है। आयोडीन भी एक प्रोटीन है। कोरल रीफ 0.07/0.05 भाग समुद्र में फैली हुई है। यह कुल मिलाकर 1 लाख किमी तक फैली है। भारत की समुद्री इकाई 1800 किमी में फैली है। कोरल बोन ट्रांसप्लॉटमेें महती भूूमिका निभाती है। नर्म कोरल अंडमान, लक्षद्वीप में पाई जाती है। कोरल एक जीव है जो ताजे पानी का आगमन होने पर अंडे देती है। यह समुद्र में ऑक्सीजन सहित अन्य गैसों और रसायनों को संतुलित करती है। यह सुनामी को रोकने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ये अस्थमा, अर्थराइटिस, कैंसर, त्वचा संक्रमण में लाभप्रद है। मानव द्वारा समुद्र को दूषित करने के कारण भारी मात्रा में कोरल नष्ट हो रही हैं। अगर यह यूं ही नष्ट होती रही तो शीघ्र ही समुद्र में गैसों का संतुलन बिगड़ जायेगा और छोटी मछलियों के आश्रय के साथ ही समुद्र में जीवनदायिनी गैसों का अंत भी हो सकता है जिससे समुद्री जीवन नष्ट हो जायेगा। समुद्रों की कार्बनडाइऑक्साइड शोषित करने की क्षमता भी समाप्त हो जायेगी और मानव को इसका भारी मूल्य चुकाना होगा।
समुद्री हार्स शू क्रैब भी लाभप्रद जीव है। यह समुद्र के सबसे प्राचीनतम जीवों में से एक है। इसका अवतरण अमीबा के साथ ही होना निश्चित किया जाता है। इसने इंजेक्ट करने पर एचआईवी के विषाणु को खत्मकर दिया। हालांकि मानव स्वार्थों की बलिवेदी पर चढ़ा यह जीव अपने जीवन के लिये संघर्ष कर रहा है। समुद्र स्पंज भी लाभप्रद है। कैंसर में ये लाभप्रद है। ये अदभुत जीव है।
शार्क को समुद्र का सफाईकर्मी कहा जाता है। यह फुर्तीली और बेहद खतरनाक मछली घायल, बीमार और कमजोर जलीयजीवों को खाकर समुद्र में संक्रमण फैलने से रोकने में महती भूमिका निभाती है। ऐसा माना जाता है कि यदि शार्क नहीं होती तो समुद्र एक विशाल तरल कब्रस्तान में बदल गया होता। यह 11 किमी दूर से ही पानी में रक्त को पहचान कर तुरंत ही जीव पर प्राणघातक हमला कर देती है। इसके कटीले दांत शुद्ध डायमंड की तरह मजबूत और धारदार होते हैं। खारे पानी की इस भयानक मछली के हमले अमेरिका और पश्चिमी देशों में इंसानों पर आम हैं। एक सर्वे के अनुसार इसके हमलों में मरने वालों की संख्या लगभग होने वालों सड़क हादसों में मृतकों की संख्या के बराबर ही है। शार्क को ही समुद्र का सबसे घातक शिकारी कहना बेमानी बात होगी और यह नाइंसाफी होगी उस महान मछली के खिलाफ जिसे इसके कातिलाना अंदाज के कारण किलर व्हेल कहा जाता है। किलर व्हेल शार्क से भी ज्यादा घातक शिकारी होती है। यह समूह में शिकार करती है और सील जैसे चतुर जलीय जीवों सहित खुद शार्क और अपनी ही जाति की व्हेल का काम तमाम कर देती है। इस विशाल देहधारी को ओरका भी कहा जाता है। यूं तो यह बेहद खतरनाक होती है पर इंसानों पर इसका हमला होने की बात कम ही सामने आती है। समुद्र की बात हो और मानव से मित्रवत ब्लू व्हेल, बेलूगा व्हेल और डॉल्फिन का जिक्र न हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता। समुद्र में इनका मित्रवत व्यवहार इंसानों को अपनी ओर आकर्षित करता है। वैज्ञानिकों को मानना है कि यह पूर्व समय में एक विशाल स्थलीय जीव रही होंगी पर समुद्र में भोजन और सुरक्षा मिलने के चलते यह समुद्र आश्रित हो गई होंगी। समुद्र में डॉल्फिनों द्वारा मार्गभटके जहाजों और मानवों को रस्ता बताने की कहानियां रोमांचक होती हैं। यही नहीं डॉल्फिन को अन्य मछलियों और उनके बच्चों को भी मार्ग दिखाते देखा गया है। इसको जो भी चीज सिखाई जाती है यह उसे तुरंत ही सीख लेती है जिससे पता चलता है कि इनका आईक्यू और सोचने का तरीका काफी कुछ इंसानों जैसा ही है।
समुद्र को जीवन और धरती का पिता कहा जाता है। भारत में समुद्र को देवता का रूप देकर इसके मानव जीवन में महत्व को स्वीकार किया जाता है। भारतीय समुद्र की पूजा करते हैं और इसके प्रति आभार व्यक्त करते हैं। समुद्र मानव के लियेे भोजन का भी एक मुख्य स्रोत है पर मानव की अपूर्ण क्षुधा के कारण यह खाली होता जा रहा है। मानव मत्स्यबीजों के विकसित होने से पहले ही विशाल जालों को डालकर इन्हें अपनी क्षुधापूर्ति के लिये उपयोग करता है जिसके कारण समुद्र में नई मछलियां आ नहीं पाती हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा तो मानव अपनी क्षुधा के कारण समुद्र को भी खाली कर डालेगा।आज जरूरत है कि हम समुद्र को वहीं सम्मान दे जो कि हम धरती को देते रहे हैं। समुद्र हमारे पर्यावरण तंत्र का अमूल्य और अचल स्तंभ है। यह पृथ्वी के पर्यावरण तंत्र को लगातार प्रभावित करता रहता है। हमें अनंत काल तक पृथ्वी और जीवन की सुरक्षा के लिये समुद्र की रक्षा करनी चाहिये ये हमारा दायित्व और आने वाले युगों के प्रति कर्तव्य है।

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