मंगलवार, 7 नवंबर 2017

बड़ा सम्मान


ये कहानी इंदौर शहर में हुई एक सच्ची घटना पर आधारित है।
आज रेल गाड़ी को हरी झंडी दिखानी थी रेल भी सामान्य नहीं थी दो प्रमुख शहरों को जोडऩे वाली थी। नेताजी शहर की सांसद के साथ रेलवे स्टेशन आने वाले थे। स्वागत का पूरा इंतजाम हो चुका था। ऐन मौके पर नेताजीको जरूरी काम आ गया। सांसद नेताजी की खातिर आ रही थी वर्ना उनको इससे कोई राजनीतिक लाभ नहीं मिलने वाला था। नेताजी नहीं आए तो वो कैसे आतीं वो एक समाजप्रमुख की शोकबैठक में निकल गईं। अब खलबली मची कि झंडी कौन दिखाए। रेल फुल थी स्थानीय गार्ड छुट्टी पर थे। प्रभारी गार्ड साब ने कहा- कोई भी दिखा दो यार पर लोगों में कोई उत्साह नहीं दिखा अंतत: गार्ड साब को चपरासी दिखाई दिये वृद्ध चपरासी झुकी पीठ से फाइलें लेकर कक्ष में जा रहा था।
गार्ड साब ने तुरंत चपरासी को बुलवाया चपरासी डरते हुए आया....गार्ड साब ने गेंदे की माला उसके गले में डाल दी और झंडी पकड़ा दी अब तुम ही झंडी दिखा दो हम यहां के हैं नहीं कैसे ये काम करें...तुम यहीं के हो सबमें बड़े हो वयोवृद्ध हो झंडी दिखा दो....चपरासी को काटो तो खून नहीं। ऐसा सम्मान....चपरासी बाबा के चेहरा ऐसा गदगद हुआ कि वो भाव शायद अब मरण पर भी नहीं उतरेगा। चपरासी बाबा ने झंडी दिखाई और डब्बे में चढ़ गया फोटोग्राफर ने फोटो खींची जो पेपर में छपी शीर्षक था बड़ा सम्मान.....

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